एक परिवार - पालतू नेवला
एक दिन स्त्री का पानी
भरने के लिए बाहर जाना
पालने में छोटा बच्चा
अकेला- साँप का निकलना
बच्चे के पास आना
नेवले का देखना - साप
को मार डालना - पानी
भरकर स्त्री कालौटना
नेवले का मुँह खून से भरा देखना
छोटे बच्चे का खूनी समझकर उस
पर पानी से भरा घड़ा फेंकना
नेवले की मृत्यु - स्त्री का
अंदर आना
बच्चा सुरक्षित
मरे हुए साँप को
देखना - नासमझी पर
पश्चाताप - सीख।
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कहानि लेखन
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एक गांव में एक धार्मिक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी। उसने मन बहलाने के लिए एक नेवला पाल लिया था। नेवले को ब्राह्मण के घर में घूमने-फिरने की पूरी स्वतंत्रता थी। ब्राह्मणी को नेवला बहुत अधिक प्यारा था।
कुछ दिनों के बाद ब्राह्मणी के घर एक बेटे का जन्म हुआ। ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से कहा कि अब हमारे संतान हो गई है, इसलिए नेवले को घर से निकाल दो। कहीं ऐसा न हो कि नेवला बच्चे का नुकसान कर दे। ब्राह्मणी ने ब्राह्मण की बात न मानी।
एक दिन ब्राह्मणी कुंए पर पानी भरने गई। बच्चा पालने में सो रहा था और नेवला पालने के पास आराम कर रहा था।
बिना सोचे समझे जो काम करते है, वह बाद में पछताते हैं। परिणाम बुरा ही होता है। हर काम सोच-समझकर विचार कर करना चाहिए।
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