एकै पवन एक ही पानी एकै जोति समाना।
है। इसी व्यापिण
क अभिव्यक्ति
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दोइ कहें तिनहीं कौं दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां ।।
पद 1
।
तौ एक एक करि जाना
हम तौ
भी बताया है
अवास्तविक
हैं।
गदित कबीर
एकै खाक गढ़े सब भांडै एकै कोहरा साना।।
जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।
सब घटि अंतरि तूंही व्यापक धरै सरूपै सोई।।
माया देखि के जगत लुभांना काहे रे नर गरबांना।
निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवाना। ॥
हिन्या अनवाम
पद 2
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sorry I do not know hindi
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