एक सुनहरी किरण उसे भी दे दो,
भटक रहा जो अधियाली के मन में
लेकिन जिसके मन में
अभी शेष है चलने की अभिलाषा
एक सुनहली किरण उसे भी दे दो।
मौन कर्म में निरत
बद्ध पिंजर में व्याकुल,
भूल गया जो दुख जतलाने वाली भाषा
उसको भी वाणी के कुछ क्षण दे दो।
तुम जो सजा रहे हो
ऊँची फुनगी पर के उर्ध्वमुखी
नव-पल्लव पर आशा की किरणें,
तुम जो जगा रहे हो
दल के दल कमलों की आँखों के
सब सोये सपने।
(क) कवि एक सुनहली किसे देने की बात कर रहा है?
(ख) कवि वाणी के क्षण किसे देने की बात कर रहा है?
(ग) 'फुनगी' शब्द का क्या अर्थ है?
(घ) इस पद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
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Ans. Nahi aata hai
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