एक स्पष्ट एवं साफ सुथरे चित्र के द्वारा परिपक्व मादा युग्मकोभिद के 7-कोशीय, 8-न्युकिलयेट (केंद्रक) प्रकृति की व्याख्या करें।
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परिपक्व मादा युग्मकोभिद के 7-कोशिकीय, 8-न्युकिलयेट (केंद्रक) प्रकृति की व्याख्या निम्न प्रकार से है :
अधिकांश आवृतबीजी पादपों में मादा युग्मकोद्भिद (भ्रूण कोष) 7-कोशीय तथा 8-न्युकिलयेट (केंद्रक) होता है। क्रियाशील गुरुबीजाणु का केंद्रक समसूत्री विभाजन द्वारा दो संतति केंद्रक बनाता है। ये केंद्रक विपरीत ध्रुवों पर चले जाते हैं। विपरीत ध्रुवों पर स्थित केंद्रक पुनः दो बार समसूत्री विभाजन द्वारा 8 केंद्रकीय संरचना बनाते हैं। यह विभाजन वास्तव में मुक्त केंद्रकीय होता है, क्योंकि विभाजन के तुरंत बाद कोशिका भित्ति नहीं बनती। 8 केंद्रकीय संरचना में बीजांडद्वार की ओर एक अंडकोष तथा दो सहायक कोशिकाएं मिलकर अण्ड उपकरण बनाती है। निभाग की ओर 3 कोशिकाएं प्रतिमुख कहलाती हैं । वृहद भ्रूण कोष में शेष बचे दो केंद्रक ध्रुवीय केंद्रक कहलाते हैं । दोनों ध्रुवीय केंद्रक परस्पर मिलकर द्विगुणित द्वितीय केंद्रक बनाते हैं । इस प्रकार परिपक्व मादा युग्मकोभिद के 7-कोशिकीय तथा 8-न्युकिलयेट (केंद्रक ) संरचना होती है।
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l परिपक्व मादा युग्मकोभिद के 7-कोशिकीय, 8-न्युकिलयेट (केंद्रक) प्रकृति की व्याख्या निम्न प्रकार से है : ... दोनों ध्रुवीय केंद्रक परस्पर मिलकर द्विगुणित द्वितीय केंद्रक बनाते हैं । इस प्रकार परिपक्व मादा युग्मकोभिद के 7-कोशिकीय तथा 8-न्युकिलयेट (केंद्रक ) संरचना होती है।