एक सारणी का मुख्य भाग होता है
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Answer: सारणी का मुख्य भाग वह होता है, जिसमें वास्तविक आँकड़े होते हैं। सारणी में किसी भी संख्या / आँकड़े की अवस्थिति उसकी पंक्ति एवं स्तंभ के अनुसार सुनिश्चित होती है।
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किसी भी सारणी का स्वरूप उसके उद्देश्यों पर निर्भर करता है। लेकिन फिर भी प्रत्येक सारणी में कुछ समानताएं होती है।
सारणी के भाग
सारणी संख्या-यदि एक ही स्थान पर एक से अधिक सारणियों का प्रयोग किया गया है तो सारणियों को क्रम संख्या देना हमेशा अच्छा होता हैं इससे इनका आगे कहीं प्रसंग देना आसान हो जाता है। इसे सारणीमें सबसे ऊपर दिखाते है।
शीर्षक-निबंध के लिये शीर्षक का जो महत्व होता है वही सारणी के लिये भी होता है। शीर्षक सारणी संख्या के बाद लिखा जाता है। इससे यह पता चलता है कि सारणी में क्या-क्या दिया गया है। शीर्षक स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए। यदि शीर्षक मोटे अक्षरों में लिखा हो तो ज्यादा उपयुक्त रहता है क्योंकि इससे तुरंत पाठकों का ध्यान आकर्षित होता है।
शीर्षक नोट (या प्रारंभिक नोट)-यह शीर्षक के नीचे लिखा जाता है। यह सारणी की विषय-वस्तु को स्पष्ट करता है और मापन इका जैसे ‘‘करोड़ रू. में’’ या ‘‘लाख टनों में’’ या ‘‘हजार गांठो में’’ (कपास या पटसन की) आदि को शीर्षक के नीचे सारणी के उपर दांयी तरफ कोष्टक में लिखना चाहिए। उदाहरण के लिये सारणी में मापन इका करोड़ रू. दिया गया है।
पंक्ति शीर्षक-इसके अंतर्गत पंक्तियों के शीर्षक व पंक्तियों में की ग प्रविष्टियां आती हैं। पंक्ति शीर्षक इसके नीचे की ग पंक्ति प्रविष्टियों का वर्णन करता है और प्रत्येक प्रविष्टि अपनी पंक्ति में रखे गये व दिये हुए आंकड़ों का उल्लेख करती है। पंक्ति शीर्षक और पंक्ति प्रविष्टियां दोनों ही सारणी मे बायें हाथ के कॉलम में दिखा जाती है। इसके अतिरिक्त पंक्ति प्रविष्टियां कॉलम शीर्षक का वर्णन करती है।
मुख्य भाग -यह सारणी का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। इस भाग में वे सभी आंकड़े होते हैं जिसके बारे में शीर्षक में बताया गया है। उदाहरण के लिये सारणी के मुख्य भाग में देश । के आयात व निर्यात के बारे में आंकड़े दिए गए है।
टिप्पणी -यदि आंकड़ों के बारे में अलग से को टिप्पणी करनी हो तो सारणी के सबसे नीचे लिख देते है। उदाहरण के लिये यदि किसी विशेष वर्ष के लिये आंकडे उपलब्ध न हो तो सारणी के सबसे नीचे लिख देते हैं ‘‘उपलब्ध नहीं’’।
आंकड़ों का स्रोत-सारणी में दिये गये आंकड़ों का स्रोत भी बताना आवश्यक है। इसमें प्रकाशन का नाम, संस्करण वर्ष, पृष्ठ संख्या आदि बतानी चाहिए। इससे आंकड़ों का अध्ययन करने वाला इसकी आगे और जांच कर सकता है।