एकै साधे सब सधैं , सब साधे सब जाय । रहिमन मूलहिं सींचिबो , फूलों फूलों अघाय ।।
क - सब साधे सब जाय ' से कवि ने मानव- स्वभाव की किस विशेषता की ओर संकेत किया है ?
ख- पौधों को सींचते समय उसके किस भाग पर विशेष ध्यान देना चाहिए और क्यों ?
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यहां एक ईश्वर की बात की जा रही है। हम ईश्वर के विभिन्न रूपो और अंशो की पूजा करते हैं। इसे बहूदेववाद कहते हैं जिसमें विभिन्न देवी देवताओ की पूजा की जाती है। पर कभी कभी इंसान ये भूल जाता है की ये सब देव एक ही ईश्वर के ही रूप है तथा आपस में लङने लगते हैं। जेसे हिंदू धर्म में ही कई पंथ है जेसे शैव, बैष्णव, शाक्त। पर हम ये भूल जाते हैं की शिव ही विष्णु है या विष्णु ही शिव। वो एक ही है।
रहीम एकेश्वरवादी थे। मतलब वो एक ही ईश्वर को मानते थे यानी परमेश्वर। इसलिए वो कहते हैं की एक परमेश्वर की पूजा से भी देवो की पूजा हो जाती है। श्रीमद्भागवत गीता भी यही कहती है।
2. पोधो को सींचते समय उनकी जङो में पानी देना चाहिए क्योंकि जङ का ध्यान रखने लेने से पौधों के सभी भागो का ध्यान रखा जा सकता है।
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