एक स्वरचित कवित लिखे|(पक्षी पर)
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजर बंद ना रह पाएंगे,
कनक तीलियों से टकरा कर
पुलकित पंख टूट जाएंगे।
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1.
चिड़िया निकली है आज लेने को दाना
समय रहते फिर है उसे घर आना
आसान न होता ये सब कर पाना
कड़ी धूप में करना संघर्ष पाने को दाना
फिर भी निकली है दाने की तलाश में
क्योकि बच्चे है उसके खाने की आस में
आज दाना नही है आस पास में
पाने को दाना उड़ी है दूर आकाश में
आखिर मेहनत लायी उसकी रंग मिल गया
उसे अपने दाने का कण पकड़ा
उसको अपनी चोंच के संग
ओर फिर उड़ी आकाश में जलाने को
अपने पंख भोर हुई पहुँची अपने ठिकाने को
बच्चे देख रहे थे राह उसकी आने को
माँ को देख बच्चे छुपा ना पाए अपने मुस्कुराने को
माँ ने दिया दाना सबको खाने को
दिन भर की मेहनत आग लगा देती है
पर बच्चो की मुस्कान सब भुला देती है
वो नन्ही सी जान उसे जीने की वजह देती है
बच्चो के लिए माँ अपना सब कुछ लगा देती है
फिर होता है रात का आना सब सोते है
खाकर खाना चिड़िया सोचती है
क्या कल आसान होगा पाना दाना
पर अपने बच्चो के लिए उसे कर है दिखाना
अगली सुबह चिड़िया फिर उड़ती है लेने को दाना
गाते हुए एक विस्वास भरा गाना
2.
कलरव करती सारी चिड़िया,
लगती कितनी प्यारी चिड़िया
दाना चुगती, नीड बनाती,
श्रम से कभी न हारी चिड़िया
भूरी, लाल, हरी, मटमैली,
श्रंग-रंग की न्यारी चिड़िया
छोटे-छोटे पर है लेकिन,
मीलो उड़े हमारी चिड़िया
3.
कौन सिखाता है चिड़ियों को,
ची ची ची ची करना ?
कौन सिखाता फुदक फुदक कर,-
उनको चलना फिरना ?
कौन सिखाता फुर्र से उड़ना,
दाने चुग-चुग खाना ?
कौन सिखाता तिनके ला ला,
कर घोंसले बनाना ?
कुदरत का यह खेल वही,
हम सबको, सब कुछ देती,
किन्तु नहीं बदले में हमसे,
वह कुछ भी है लेती ||
4.
प्रात: होते ही चिड़िया रानी, बगिया में आ जाती,
चूं चूं करके शोर मचाकर बिस्तर में मुझे जगाती |
तिलगोजे जैसी चोंच है उसकी,
मोती जैसी आंखें |
छोटे छोटे पंजे उसके
रेशम जैसी आंखें |
मीठे मीठे गीत सुनाकर,
तू सबका मन बहलाती |
छोटे छोटे दाने चुग कर
बड़े चाव से खाती |
चारो तरफ फुदक फुदक कर,
तू अपना नाच दिखाती |
नन्हे नन्हे तिनके चुनकर,
तू अपना घोंसला बनाती |
रात होते ही झट से
तू घोंसले में घुस जाती |
पेड़ो की शाखाओ में तू,
अपना बास बनाती |
5.
सोने की चिड़िया कहे जानेवाले देश में
सफेद बगुलों ने आश्वासनों के इन्द्रधनुषी
सपने दिखाकर निरीह मेमनों की आंखें
फोड़ डाली हैं
मेमने दाना-पानी की जुगाड़ में व्यस्त हैं.
सफेद बगुले आलीशान पंचतारा होटलों
में आजादी का जश्न मना रहे हैं
प्रवासी पक्षियों के समूह सोने की चिड़िया
कहे जाने वाले देश के वृक्षों पर अपने घोंसले
बना रहे हैं और देशी चिड़ियों के समूह
खाली वृक्ष की तलाश में भटक रहे हैं
कुछेक साल देशी चिड़िया को लगातार सौंदर्य
का ताज पहनाया गया और प्रवासी पक्षी
अपना स्थान बनाने की खुशी में गीत गुनगुना रहे हैं
वृक्ष पर बैठे प्रवासी पक्षियों की बीट से
पुण्य भूमि पर पाश्चात्य गंदगी फैल रही है
विश्व गुरु कहे जानेवाले देश में गुरु पीटे जा रहे हैं
और चेले प्रेमिकाओं संग व्यस्त हैं
शिक्षा व्यवस्था का बोझ गदहों की पीठ पर
लाद दिया गया है
अपने निहित स्वार्थ के लिए सफेद
बगुले लगातार देश को बांटने की साजिश में लगे हैं
देश जितना बंटेगा कुर्सियां उतनी ही सुरक्षित होंगी
महाभारत आज भी जारी है
भूखे-नंगे लोग युद्ध क्या करेंगे, मारे जा रहे हैं
बिसात आज भी बिछी है
द्युत खेला जा रहा है ‘कौन बनेगा करोड़पति’
जैसे टीवी सीरियल देखकर बच्चे ही नहीं,
तथाकथित बुद्धिजीवी भी फोन डायल कर रहे हैं
हवा में तैर रहा है बिना परिश्रम के
करोड़पति बनने का सवाल –
प्रवासी पक्षी अगली सदी तक कितने अण्डे देंगे
Explanation:
you can write any of them