एक सम्राट के रूप में नेपोलियन के उदय का vanran karo
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1804 तक आते-आते नेपोलियन प्रथम काउंसिल के पद से संतुष्ट नहीं रहा। उसने एक बार फिर जनमत संग्रह करवाया और उसे वह सब बनने व करने का अधिकार मिला जो वह चाहता था। दिसंबर 1804 में उसने तो पोप पिअस सप्तम की उपस्थिति में स्वयं अपने हाथों से अपने सिर पर राजमुकुट धारण किया । इस प्रकार उसने स्वयं को सम्राट घोषित कर दिया।
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