एक सन्यासी को किसी राजा ने अपनी पुत्री की विवाह के अवसर बुलाया द्वारपाल ने सन्यासी के फटे कपड़ों के कारण अंदर नहीं जाने दिया आगे की लघु कथा लेखन लिखिए
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एक सन्यासी को किसी राजा ने अपनी पुत्री की विवाह के अवसर बुलाया द्वारपाल ने सन्यासी के फटे कपड़ों के कारण अंदर नहीं जाने दिया । सन्यासी ने द्वारपाल ने कहा कि राजा को संदेश दो कि एक सन्यासी आया है । द्वारपाल ने संदेश राजा को पहुंचाया राजा तुरंत सन्यासी को महल के अंदर ले आया अपनी पुत्री का विवाह कर दिया ।
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Explanation:
संन्यास ( संस्कृत : संन्यास ; आईएएसटी : संन्यास ) त्याग का जीवन है और आश्रम के रूप में जाने जाने वाले चार जीवन चरणोंकी हिंदू प्रणाली केभीतर चौथा चरण है, जिसमें पहले तीन ब्रह्मचर्य (स्नातक छात्र), गृहस्थ (गृहस्थ) और वानप्रस्थ (वनवासी) हैं।, सेवेन िवरित)। [1] संन्यास पारंपरिक रूप से पुरुषों या महिलाओं के लिए उनके जीवन के अंतिम वर्षों में अवधारणा है, लेकिन युवा ब्रह्मचारियों के पास गृहस्थ और सेवानिवृत्ति के चरणों को छोड़ने, सांसारिक और भौतिकवादी गतिविधियों को त्यागने और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए अपना जीवन समर्पित करने का विकल्प है।