Computer Science, asked by kartikkamate7, 5 days ago

एक्सप्लेन विद डायग्राम एक्टिविटी ऑफ सेल्फ मैनेजमेंट ​

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Answered by JSP2008
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प्राणमय कोश:

व्यक्ति का शरीर यंत्रशक्ति है। प्राण शरीर की कार्यशक्ति है। उसे जीवनीशक्ति भी कहते हैं। प्राण की ऊर्जा से ही शरीर कार्य कर सकता है और जिन्दा कहा जाता है यह तो सब जानते है। यह प्राण बलवान होना चाहिये, नियमन में रहना चाहिये और संतुलित रहना चाहिये।

तभी कार्यसिदधि होती हैं। बलवान और संतुलित प्राण ही उत्साह विजिगीषु मनोवृत्ति, उच्च लक्ष्य विधायक सोच आदि का प्रेरक होता

है।

बलवान प्राणशक्ति के बिना यश प्राप्त नहीं होता है। प्राणमय कोश के विकास के लिये आहार, निद्रा, समुचित श्वसन, प्राणायाम, शुद्ध वायु आदि कारक तत्व है। यह भी घर और विद्यालय दोनों का समन्वित दायित्व है।

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