Hindi, asked by Anonymous, 1 year ago

एक शिक्षक होने के नाते आप के द्वारा अपने विद्यालय में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू करने में आने वाली दिक्कतों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए इस अधिनियम के बेहतर तरीके से लागू किए जाने के तरीके सुझाइए

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Answered by Chirpy
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शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार -

1. 6 से 14 साल की उम्र वाले सब बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है।

2. सरकारी विद्यालय सब बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करेंगे। स्कूल प्रबंध समितियां या एसएमसी विद्यालयों का प्रबंधन करेंगी। निजी विद्यालय न्यूनतम 25% विद्यार्थियों को बिना शुल्क के नामांकित करेंगे।


एक शिक्षक को इस अधिनियम को लागू करने में कुछ दिक्कत हो सकती है, जैसे -

1. बच्चों को पढ़ाने में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि अनेक बच्चे अशिक्षित परिवारों से आयेंगे।

2. बच्चों की क्षमता में काफी अंतर होगा। भिन्न विद्यार्थियों को उचित ढंग से पढ़ाने के लिए शिक्षक को प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।


 इस अधिनियम को लागू करने में अन्य बाधाएं इस प्रकार हैं -

1. अधिकांश माता-पिता को इस अधिनियम के दिशा-निर्देशों के सम्बन्ध में जानकारी नहीं है। इसलिए वे अपने बच्चों के लिए अधिकारों की मांग नहीं कर पाते हैं।

2. अनेक विद्यालय यह मानते हैं कि इस अधिनियम के अंतर्गत गरीब बच्चों के प्रवेश से विद्यालय का परिणाम स्तर गिर जायेगा। इसलिए वे इन बच्चों के प्रवेश को प्रोत्साहन नहीं देते हैं।

3. सरकार विद्यालयों को समय पर क्षतिपूर्ति राशी प्रदान नहीं करती है। इसलिए विद्यालय का प्रशासन इन बच्चों को प्रवेश देने में हिचकता है।

4. इस अधिनियम में विकलांगो, अनाथों, भिखारियों आदि जैसे सीमांत वर्गों के बच्चों के लिए अलग प्रावधान नहीं किया गया है।


इस अधिनियम को लागू करने के बेहतर तरीके -

1. जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए ताकि लोगों को इसके बारे में जानकारी मिले और वे इसका उपयोग कर सकें।  इसमें मीडिया, सोशल मीडिया, सिविल सोसाइटी, प्रसिद्ध व्यक्तियों आदि को शामिल करना चाहिए।

2. विद्यालयों की समुचित निगरानी करनी चाहिए। इस अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन की समय-समय पर रिपोर्ट लेनी चाहिए।

3. ऑनलाइन प्रबंधन प्रणाली का उपयोग करके विद्यालयों की रियल टाइम आधार पर निगरानी करनी चाहिए।

4. अध्ययन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए सतत्  और व्यापक मूल्यांकन पर जोर देना चाहिए। शिक्षण-प्रशिक्षण व्यवस्थाओं पर ध्यान देना चाहिए ताकि अध्यापन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

5. 25% कोटा न रखने वाले विद्यालयों के विरुद्ध कार्यवाही की जानी चाहिए।

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