एक टेबल की आत्मकथा पर अनुच्छेद in hindi
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प्रस्तावना:
मेरे प्यारे बच्चों । मैं तुम्हें इतना प्रसन्न और खुश देखकर बड़ा हर्षित हूँ । मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह तुम्हें हमेशा खुश रखे । मेरी एक टांग टूट गई है ।
तुमने मुझे इस गोदाम से निकालकर मुझ पर बड़ा उपकार किया है । मैं महीनों से इसमें लाचार पड़ा था । मुझ पर बहुत सारी धूल और गर्द जम गई । मेरे ऊपर तमाम मेरी भाई बहने लदी थी । इस काल कोठरी में मेरा दम घुट रहा था और लगता था कि मेरा अन्त यहीं हो जायेगा, लेकिन तुम लोगो ने मेरा हालचाल पूछ कर मुझे नया जीवन दिया है ।
जंगल में जन्म:
मेरा जन्म इस रूप में नहीं हुआ था, जिस रूप में तुम मुझे देख रहे हो । मेरा जन्म महाराष्ट्र राज्य में स्थित नागपुर के पास एक जंगल में हुआ था । प्रकृति की गोद में जन्म लेकर मैं फला-फूला । मेरी मां शीशम का एक वृक्ष थी । यह एक बड़ा विशाल और शकितशाली वृक्ष था ।
दसियों वर्ष तक मैं मां की गोद से चिपको और सुन्दर हरी-हरी पत्तियों से लदी एक शाखा के रूप में बड़ा होने लगा । शीतल पवन के झोके और वर्षा से मैं नाच उठता था । हवा के झोंकों पर मैं झूलता-मुस्कराता हुआ अपने भाग्य पर ईर्ष्या करता रहा ।
मुझे स्वप्न मैं भी यह ख्याल न आया कि भविष्य में मुझे पर कोई संकट आ सकता है अथवा मां की गोद से मुझे कोई छीन सकता है । अब मैं खूब मोटी-ताजी शाखा के रूप में जवान हो गया था और जवानी पर फूला नहीं समाता था । मेरा जीवन बड़ा शान्त और खुशहाल था ।
फर्नीचर वाले की दुकान पर:
अगले दिन बढ़ई मुझे एक फर्नीचर वाले को बेच आया । यही मेरी खूब खातिरदारी हुई । कई दिन तक रोज मेरी झाड़-पोंच होती रही । एक दिन तुम्हारे प्रिंसिपल महोदय दुकान पर आए और मुझे पसन्द करके खरीद कर ले गए । प्रिंसिपल साहब ने मुझे अपने कमरे में रखवा लिया ।
स्कूल में जौवन:
मैंने अनेक वर्ष तक प्रिसिपल महोदय की जी-जान से सेवा की, लेकिन कुछ वर्षों के बाद मेरा रूप-रंग बिगड़ने लगा । कई बार मुझ पैर पॉलिश कराई गई । एक बार कमरे की सफाई के लिए जब चपरासी ने मुझे लापरवाही से खींचा, तो मेरी एक टांग टूट गई और मैं लुढक गया ।
प्रिंसिपल महोदय ने आदेश देकर मुझे गोदाम में डलवा दिया और एक नई टेबल खरीद ली । कई महीनो तक मैं यहीं दबा पडा रहा । आज इस गोदाम को खोलकर तुम लोगों ने मुझसे हाल-चाल पूछा है, जिसके लिए मैं बड़ा कृतज्ञ हूं ।
उपसंहार:
मुझे यकीन है कि तुम लोग मेरी मरम्मत करवा दोगे । अगर तुमने मेरी दूसरी टांग लगवा दी, तो मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूँ कि मैं तुम्हारी पुन: कई वर्षों तक सेवा कर सकूंगा । अभी मुझ में बड़ी ताकत शेष है ।
hope it will help you
मेरे प्यारे बच्चों । मैं तुम्हें इतना प्रसन्न और खुश देखकर बड़ा हर्षित हूँ । मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह तुम्हें हमेशा खुश रखे । मेरी एक टांग टूट गई है ।
तुमने मुझे इस गोदाम से निकालकर मुझ पर बड़ा उपकार किया है । मैं महीनों से इसमें लाचार पड़ा था । मुझ पर बहुत सारी धूल और गर्द जम गई । मेरे ऊपर तमाम मेरी भाई बहने लदी थी । इस काल कोठरी में मेरा दम घुट रहा था और लगता था कि मेरा अन्त यहीं हो जायेगा, लेकिन तुम लोगो ने मेरा हालचाल पूछ कर मुझे नया जीवन दिया है ।
जंगल में जन्म:
मेरा जन्म इस रूप में नहीं हुआ था, जिस रूप में तुम मुझे देख रहे हो । मेरा जन्म महाराष्ट्र राज्य में स्थित नागपुर के पास एक जंगल में हुआ था । प्रकृति की गोद में जन्म लेकर मैं फला-फूला । मेरी मां शीशम का एक वृक्ष थी । यह एक बड़ा विशाल और शकितशाली वृक्ष था ।
दसियों वर्ष तक मैं मां की गोद से चिपको और सुन्दर हरी-हरी पत्तियों से लदी एक शाखा के रूप में बड़ा होने लगा । शीतल पवन के झोके और वर्षा से मैं नाच उठता था । हवा के झोंकों पर मैं झूलता-मुस्कराता हुआ अपने भाग्य पर ईर्ष्या करता रहा ।
मुझे स्वप्न मैं भी यह ख्याल न आया कि भविष्य में मुझे पर कोई संकट आ सकता है अथवा मां की गोद से मुझे कोई छीन सकता है । अब मैं खूब मोटी-ताजी शाखा के रूप में जवान हो गया था और जवानी पर फूला नहीं समाता था । मेरा जीवन बड़ा शान्त और खुशहाल था ।
फर्नीचर वाले की दुकान पर:
अगले दिन बढ़ई मुझे एक फर्नीचर वाले को बेच आया । यही मेरी खूब खातिरदारी हुई । कई दिन तक रोज मेरी झाड़-पोंच होती रही । एक दिन तुम्हारे प्रिंसिपल महोदय दुकान पर आए और मुझे पसन्द करके खरीद कर ले गए । प्रिंसिपल साहब ने मुझे अपने कमरे में रखवा लिया ।
स्कूल में जौवन:
मैंने अनेक वर्ष तक प्रिसिपल महोदय की जी-जान से सेवा की, लेकिन कुछ वर्षों के बाद मेरा रूप-रंग बिगड़ने लगा । कई बार मुझ पैर पॉलिश कराई गई । एक बार कमरे की सफाई के लिए जब चपरासी ने मुझे लापरवाही से खींचा, तो मेरी एक टांग टूट गई और मैं लुढक गया ।
प्रिंसिपल महोदय ने आदेश देकर मुझे गोदाम में डलवा दिया और एक नई टेबल खरीद ली । कई महीनो तक मैं यहीं दबा पडा रहा । आज इस गोदाम को खोलकर तुम लोगों ने मुझसे हाल-चाल पूछा है, जिसके लिए मैं बड़ा कृतज्ञ हूं ।
उपसंहार:
मुझे यकीन है कि तुम लोग मेरी मरम्मत करवा दोगे । अगर तुमने मेरी दूसरी टांग लगवा दी, तो मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूँ कि मैं तुम्हारी पुन: कई वर्षों तक सेवा कर सकूंगा । अभी मुझ में बड़ी ताकत शेष है ।
hope it will help you
Ritu124103:
but u are
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Answer:
मेरे ऊपर तमाम मेरी भाई बहने लदी थी । इस काल कोठरी में मेरा दम घुट रहा था और लगता था कि मेरा अन्त यहीं हो जायेगा, लेकिन तुम लोगो ने मेरा हालचाल पूछ कर मुझे नया जीवन दिया है । अब मुझे विश्वास हो गयां है कि तुम मेरे साथ न्याय करोगे और मेरी टूटी टांग जोड़कर मुझे कुछ दिन संसार में हंसने-खेलने का और मौका दोगे ।
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