एक तालाब की आत्मकथा pls
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मैं एक तालाब हूँ । बरसो से मैं इसी जंगल के बीच रह रहा हूँ । सारे जिव जंतु तथा मानव मुझे बहुत प्यार करते थे । वे हमेशा आकर मुझसे पानी पीते थे । मुझे गर्मी बिलकुल पसंद नहीं है । गर्मी में में बिलकुल सुख कर निर्जीवन हो जाता हूँ । सारे जिव जंतु आस लगाकर मुझे देखते रहते है पर में मजबूर लाचार उन्हें पानी तक नहीं पीला सकता । पर जैसे ही बरसात का मौसम आता है मुझमे नयी जान आ जाती है । में फिर से पानी से भर जाता हूँ । इसी पानी से मैंने नए जीवन की सृस्टि होते देखा है । धुप से परेशान जानवरो को खुशी से नहाते देखा है । दुश्मनों को मैंने अपने किनारे पर मित्र बनते देखा है ।
पर वो जमाना गया । मनुष्य के बढ़ते विकास तथा आबादी ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है । मनुष्यो ने मुझे कचरे का ढेर बना दिया है । आजकल मेरे अंदर पानी काम और कचरा ज्यादा हो गया है । सांस लेना दूभर हो गया है । मनुष्यो ने मुझे केमिकल से लबालब भर दिया है । जानवर भी अब मुझे अपवित्र समझ कर मेरे पास नहीं आते । काश कोई इन मनुष्यो को बुद्धि दे और कोई मुझ में फिर से जान डाल दे ।
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मैं तालाब हूं आज मैं मेरी आत्मकथा सुनाने जा रहा हूं वर्षों पहले से ही मैं पृथ्वी पर विद्यमान हूं पृथ्वी का प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में मेरा बहुत बड़ा सहयोग है.
मैं प्राकृतिक रूप से जंगल गांव और बगीचों में पाया जाता हूं लेकिन अप्राकृतिक रूप से मुझे मनुष्य द्वारा भी बनाया जाता है. जहां पर झील, नदी नहीं पहुंच पाते वहां पर मेरा अस्तित्व होता है. गांव में मेरे अलग-अलग नाम रखे जाते है कई गांवों के नाम तो मेरे नाम से ही पहचाने जाते है.
मैं कभी वर्षा के जल से भर जाता हूं तो कभी नदी और झील के पानी से लबालब हो जाता हूं. मुझे कहीं पर तालाब तो कहीं पर पोखर, सरोवर और बावड़ी के नाम से जाना जाता है.
मेरा आकार छोटा, मध्यम और विशाल होता है. मैं प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलता हूं और पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतु, पशु-पक्षियों, और इंसानों को जीवन जीने के लिए अमूल्य जल देता हूं.
कुछ जंगल एवं गांव में मैं पानी का एकमात्र स्त्रोत होता हूं. जंगल में में बड़े छोटे रूप में कई जगह पर पाया जाता हूं जहां पर जंगल के सभी प्राणी आकर अपनी प्यास बुझाते है मैंने मरते हुए प्राणियों को जीवन दिया है. मैं जंगल के पेड़-पौधों को पानी देकर उन्हें सूखने से बचाता हूं.
मेरे जल के अंदर छोटे जीव और रंग बिरंगी मछलियां अपना जीवन खुशी से व्यतीत करते हैं और मेरी सुंदरता में चार चांद लगा देते है. इनको हंसता खेलता देखकर मैं भी खुश हो जाता हूं.
गर्मियों के दिनों में सभी जीव जंतु एवं गांव के बच्चे गर्मी से राहत पाने के लिए मेरे जल से नहाने आते है वहां खूब हंसी मजाक और तैराकी करते है.
पुराने जमाने में जब मानव जनसंख्या कम थी तब मैं पूरे वर्ष भर पानी से लबालब भरा रहता था लेकिन अब 3 से 4 महीने तक ही पानी से भरा हुआ रहता हूं गर्मियों में तो मैं सुख के निर्जीव बन जाता हूं. जिस कारण मेरे ऊपर आश्रित पशु पक्षी पानी के लिए पूरे जंगल में इधर उधर मारे मारे फिरते रहते है.
जल नहीं मिलने के कारण कई पशु पक्षियों की मृत्यु भी हो जाती है जिससे मुझे बहुत दुख पहुंचता है. मैंने जीवन का हर रंग देखा है मैंने जीव जंतुओं का प्रेम, दोस्ती देखा है, उनकी लड़ाई देखी है, उनके रहन-सहन का तरीका देखा है.
मैंने पृथ्वी पर सभी ऋतुओं को देखा है गर्मियों में लू के थपेड़े सही है तो सर्दियों में मेरा पानी बर्फ बन जाता है.
मैंने बदलते हुए पर्यावरण को देखा है, मैंने राजा महाराजाओं के राज को देखा है समय के साथ साथ लोगों के जीवन को बदलते देखा है और उसी के साथ मेरा जीवन भी बदल रहा है. मेरे जीवन पर संकट के बादल छाए हुए है.
जैसे जैसे समय बदल रहा है मुझे मानव द्वारा भूलाया जा रहा है जहां पर मैं जिंदा हूं वहां पर मेरे ऊपर अत्याचार किया जा रहा है मेरे अंदर कल कारखानों और फैक्ट्रियों का दूषित कचरा और केमिकल्स डाले जा रहे है. बढ़ती हुई जनसंख्या ने अतिक्रमण करके मेरे आकार को छोटा कर दिया है.
भू-माफियाओं ने मिलकर मेरे ऊपर कब्जा बना लिया है और ऊंची ऊंची इमारतें बना दी है कहीं पर मेरी अमूल्य मिट्टी को खोदकर बेच दिया गया है तो कहीं पर मेरे जल का दुरुपयोग हो रहा है.
जल के दुरुपयोग के कारण मैं जल्दी ही सूख जाता हूं जिससे आसपास के प्राणी जल बिना प्यासे ही मर जाते है.
मानव ने मेरे दिल को इस तरह से खराब कर दिया है कि मेरे अंदर रहने वाली मछलियां और अन्य छोटे जीवो का जीवन संकट ग्रस्त हो गया है.
उनकी मृत्यु असमय में ही होने लगी है. जंगल के जीव जंतु अब मेरे जल को पीना पसंद नहीं करते है उन्हें मेरे पास आने से ही डर लगने लगा है. मनुष्य ने मेरे अंदर इतना कचरा फेंका है कि मैं अब तालाब की जगह कूड़े का ढेर नजर आने लगा हूं.
जिसके कारण चारों ओर दुर्गंध ही दुर्गंध फैल गई है साथ में मेरे आस-पास कई बीमारियां भी पनपने लगी है मेरे जल में डेंगू फैलाने वाले मच्छर बढ़ गए है. मेरी जल में केमिकल मिलने के कारण आसपास के पेड़ पौधे सूख गए है सुनहरी धरती माता भी काली पड़ गई है.
मैं तालाब अमृत के समान जल रखने वाला आज जहर उगलने वाला नाग बन गया हूं. मेरे रहने के कुछ स्थानों पर मिट्टी का भराव कर दिया गया है जिसके कारण वर्षा का जल मेरे अंदर नहीं समा पाता है और मेरा अस्तित्व खत्म सा हो गया है.
अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन सारे तालाब सूख जाएंगे और सारे पुरानी जल के बिना मृत्यु के शिकार हो जाएंगे. मेरे बिना सभी पेड़ पौधे सूख जाएंगे और पृथ्वी से हरियाली नष्ट हो जाएगी. पृथ्वी का जल स्तर गिर जाएगा जिससे सभी प्राणियों को दूषित जल पीने को मजबूर होना पड़ेगा.
यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि मैं तालाब जिन मनुष्यों को जीवन देता था आज वही मेरे जीवन के दुश्मन हो गए है.
मैं तालाब सभी मनुष्य से निवेदन करना चाहूंगा कि आप मेरे जीवन को बचाए जो तालाब नष्ट हो चुके हैं उन्हें पुन: बनाएं जिससे पृथ्वी का वातावरण भी अच्छा रहेगा और सभी को स्वच्छ और अच्छा जल मिलेगा.