एक तंत्र पर 200 जूल कार्य किया गया तथा उसी समय 140 जून उष्मा उत्पन्न होती है आंतरिक उस्मा और आंतरिक ऊर्जा परिवर्तन की गणना कीजिए
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आन्तरिक ऊर्जा
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ऊष्मागतिकी में, किसी निकाय में अंतर्विष्ट (contained) ऊर्जा को उस निकाय की आन्तरिक ऊर्जा (internal energy) कहते हैं। ध्यान देने योग्य है कि आन्तरिक ऊर्जा में उस निकाय की गतिज ऊर्जा] और स्थितिज ऊर्जा सम्मिलित नहीं की जाती। 'कुल' आन्तरिक ऊर्जा U को नहीं मापा जा सकता किन्तु आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन {\displaystyle \Delta U}{\displaystyle \Delta U} को मापा जा सकता है।
{\displaystyle \Delta U=Q+W}{\displaystyle \Delta U=Q+W}
जहाँ
{\displaystyle \Delta U=U2-U1}{\displaystyle \Delta U=U2-U1} ,
{\displaystyle Q}{\displaystyle Q} = निकाय को दी गयी ऊष्मीय ऊर्जा,
{\displaystyle W}{\displaystyle W} = निकाय पर किया गया यांत्रिक कार्य = {\displaystyle p.\Delta V}{\displaystyle p.\Delta V}
इस का मात्रक टाऊ है (1) आन्तरिक ऊर्जा मे परिवर्तन एक बीजीय राशि है। अर्थात इसका मान धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है। यदि मान धनात्मक हो तो अभिक्रिया ऊष्माशोषी और ऋणात्मक हो तो अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी होती है। आन्तरिक ऊर्जा मे परिवर्तन =+ve(ऊष्माशोषी) आन्तरिक ऊर्जा मे परिवर्तन =-ve(ऊष्माक्षेपी) चूँकि आन्तरिक ऊर्जा का मान निकाय में उपस्थित पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करता है,अतः यह एक मात्रात्मक गुण अथवा विस्तीर्ण गुण है। (2) किसी चक्रीय प्रक्रम के लिये आन्तरिक ऊर्जा परिवर्तन का मान शुन्य होता है। आन्तरिक ऊर्जा का S.I मात्रक j/mol या kj/mol होता है।