एक दिन एक कोवा पेड पर बेठा था उसकी चोंच मे रोटी का एक टुकडा था । एक चालक लोमड़ी ने उसे देखा। उसके मुह मे पानी आ ज्ञ। उसने कौवे के गाने की प्राश्ंसा की और उसने गाने का आग्रह किया। जैसे कौवे ने गाने के लिये अपनी चोंच खोली जैसे रोटी का टुकडा जमीन पर गीर पड़ा ।
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एक दिन एक कोवा पेड पर बेठा था उसकी चोंच मे रोटी का एक टुकडा था । एक चालक लोमड़ी ने उसे देखा। उसके मुह मे पानी आ ज्ञ। उसने कौवे के गाने की प्राश्ंसा की और उसने गाने का आग्रह किया। जैसे कौवे ने गाने के लिये
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