एक दिन सासा सूरज निकला अरे क्षितिज पर नहीं नगर के चौक धूप बरसी पर अंतरिक्ष से नहीं फटी मिट्टी से
Answers
एक दिन सहसा
सूरज निकला और
अरे क्षितिज पर नहीं
नगर के चौक
धूप बरसी पर
अंतरिक्ष से नहीं
फटी मिट्टी से
संदर्भ : यह पंक्तियां ‘सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय’ द्वारा लिखी गई ‘हिरोशिमा’ नामक कविता से ली गई हैं। इस कविता और इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने जापान के हिरोशिमा नगर में गिराए गए एटम बम के बाद उपजी विभीषिका का वर्णन किया है।
भावार्थ : कवि कहता है कि एक दिन अचानक भयंकर तेज प्रकाश दिखाई पड़ा। यह प्रकाश ऊपर आसमान में सूरज से नहीं आ रहा था बल्कि शहर के बीचो बीच अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा नगर के चौक पर गिराए गए बम का था। इस बम की गर्मी से लोग जल रहे थे। यह गर्मी बहुत तीव्र थी। यह धूप की गर्मी नहीं थी बल्कि ये गर्मी बम विस्फोट के बाद उपजी आग की ज्वाला की थी। चारों तरफ ऐसा लग रहा था कि गर्मी के कारण धरती फट गई हो। चारों तरफ मिट्टी का गुबार ही गुबार नजर आ रहा है।