Hindi, asked by proriteshgamer, 28 days ago

एक दिन तुम्हारे बाबू जी ने दुनिया की मुसीबतों और मनुष्य की
अज्यूरियों को समझाते हुए जब हमसे गहनों की मांग की तो क्षण भर के लिए
हमे कुछ वैसा लगा और गहना देने में तनिक हिचकिचाहट महसूस हुई पर
यह सोचा कि उनकी प्रसन्नता में हमारी खशी है,हमने गहने दे दिए। केवल
टीका, नथुनी, बिछिया रख लिए थे। वे हमारे सुहागवाले गहने थे। उस दिन
तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, पर दूसरे दिन वे अपनी पीड़ान रोक सके । कहने
लगे-"तुम जब मिरजापुर जाओगी और लोग गहनों के संबंध में पूछेगे तो
हम मुसकराई और कहा- "उसके लिए आप चिंता न करें। हमने
बहाना सोच लिया है। हम कह देंगी कि गांधीजी के कहने के अनुसार हमने
गहने पहनने छोड़ दिए हैं । इसपर कोई भी शंका नहीं करेगा। तुम्हारे बाबू
जी तनिक देर चुप रहे, फिर बोले- "तुम्हें यहाँ बहुत तकलीफ है, इसे में
अच्छी तरह समझता हूँ। तुम्हारा विवाह बहुत अच्छे. सुखी परिवार में हो
सकता था, लेकिन अब जैसा है वैसा है। तुम्हें आराम देना तो दूर रहा,
तुम्हारे बदन के भी सारे गहने उतरवा लिए।
हम बोली- "पर जो असल गहना है वह तो है। हमें बस वही चाहिए।
आप उन गहनों की चिंता न करें। समय आ जाने पर फिर बन जाएंगे। सदा
ऐसे ही दिन घोड़े रहेंगे । दुख-सुख तो सदा ही लगा रहता है​

Answers

Answered by kakalisarkarraju2011
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Answer:

एक दिन तुम्हारे बाबू जी ने दुनिया की मुसीबतों और मनुष्य की

अज्यूरियों को समझाते हुए जब हमसे गहनों की मांग की तो क्षण भर के लिए

हमे कुछ वैसा लगा और गहना देने में तनिक हिचकिचाहट महसूस हुई पर

यह सोचा कि उनकी प्रसन्नता में हमारी खशी है,हमने गहने दे दिए। केवल

टीका, नथुनी, बिछिया रख लिए थे। वे हमारे सुहागवाले गहने थे। उस दिन

तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, पर दूसरे दिन वे अपनी पीड़ान रोक सके । कहने

लगे-"तुम जब मिरजापुर जाओगी और लोग गहनों के संबंध में पूछेगे तो

हम मुसकराई और कहा- "उसके लिए आप चिंता न करें। हमने

बहाना सोच लिया है। हम कह देंगी कि गांधीजी के कहने के अनुसार हमने

गहने पहनने छोड़ दिए हैं । इसपर कोई भी शंका नहीं करेगा। तुम्हारे बाबू

जी तनिक देर चुप रहे, फिर बोले- "तुम्हें यहाँ बहुत तकलीफ है, इसे में

अच्छी तरह समझता हूँ। तुम्हारा विवाह बहुत अच्छे. सुखी परिवार में हो

सकता था, लेकिन अब जैसा है वैसा है। तुम्हें आराम देना तो दूर रहा,

तुम्हारे बदन के भी सारे गहने उतरवा लिए।

हम बोली- "पर जो असल गहना है वह तो है। हमें बस वही चाहिए।

आप उन गहनों की चिंता न करें। समय आ जाने पर फिर बन जाएंगे। सदा

ऐसे ही दिन घोड़े रहेंगे । दुख-सुख तो सदा ही लगा रहता है

Explanation:

एक दिन तुम्हारे बाबू जी ने दुनिया की मुसीबतों और मनुष्य की

अज्यूरियों को समझाते हुए जब हमसे गहनों की मांग की तो क्षण भर के लिए

हमे कुछ वैसा लगा और गहना देने में तनिक हिचकिचाहट महसूस हुई पर

यह सोचा कि उनकी प्रसन्नता में हमारी खशी है,हमने गहने दे दिए। केवल

टीका, नथुनी, बिछिया रख लिए थे। वे हमारे सुहागवाले गहने थे। उस दिन

तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, पर दूसरे दिन वे अपनी पीड़ान रोक सके । कहने

लगे-"तुम जब मिरजापुर जाओगी और लोग गहनों के संबंध में पूछेगे तो

हम मुसकराई और कहा- "उसके लिए आप चिंता न करें। हमने

बहाना सोच लिया है। हम कह देंगी कि गांधीजी के कहने के अनुसार हमने

गहने पहनने छोड़ दिए हैं । इसपर कोई भी शंका नहीं करेगा। तुम्हारे बाबू

जी तनिक देर चुप रहे, फिर बोले- "तुम्हें यहाँ बहुत तकलीफ है, इसे में

अच्छी तरह समझता हूँ। तुम्हारा विवाह बहुत अच्छे. सुखी परिवार में हो

सकता था, लेकिन अब जैसा है वैसा है। तुम्हें आराम देना तो दूर रहा,

तुम्हारे बदन के भी सारे गहने उतरवा लिए।

हम बोली- "पर जो असल गहना है वह तो है। हमें बस वही चाहिए।

आप उन गहनों की चिंता न करें। समय आ जाने पर फिर बन जाएंगे। सदा

ऐसे ही दिन घोड़े रहेंगे । दुख-सुख तो सदा ही लगा रहता है

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Answered by franktheruler
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एक दिन तुम्हारे बाबू जी ने दुनिया की मुसीबतों और मनुष्य की मजबूरियों को समझाते हुए जब हमसे गहनों की मांग की तो क्षण भर के लिए हमे कुछ वैसा लगा और गहना देने में तनिक हिचकिचाहट महसूस हुई पर यह सोचा कि उनकी प्रसन्नता में हमारी खुशी है,हमने गहने दे दिए। केवल टीका, नथुनी, बिछिया रख लिए थे। वे हमारे सुहागवाले गहने थे। उस दिन तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, पर दूसरे दिन वे अपनी पीड़ा रोक सके । कहने लगे-"तुम जब मिरजापुर जाओगी और लोग गहनों के संबंध में पूछेगे तो

हम मुसकराई और कहा- "उसके लिए आप चिंता न करें। हमने बहाना सोच लिया है। हम कह देंगी कि गांधीजी के कहने के अनुसार हमने गहने पहनने छोड़ दिए हैं । इसपर कोई भी शंका नहीं करेगा। तुम्हारे बाबूजी तनिक देर चुप रहे, फिर बोले- "तुम्हें यहाँ बहुत तकलीफ है, इसे में

अच्छी तरह समझता हूँ। तुम्हारा विवाह बहुत अच्छे. सुखी परिवार में हो सकता था, लेकिन अब जैसा है वैसा है। तुम्हें आराम देना तो दूर रहा, तुम्हारे बदन के भी सारे गहने उतरवा लिए।

हम बोली- "पर जो असल गहना है वह तो है। हमें बस वही चाहिए। आप उन गहनों की चिंता न करें। समय आ जाने पर फिर बन जाएंगे। सदा ऐसे ही दिन थोड़े रहेंगे । दुख-सुख तो सदा ही लगा रहता है

दिए गए गद्य के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

1.संजाल पूर्ण कीजिए

पाठ में प्रयुक्त गहनों के नाम

  • चढ़ावे के पांच ग्राम सोने के गहने
  • टीका
  • नथुनी
  • बिछिया

2. कारण लिखिए

अम्मा ने सारे गहने बाबूजी को दे दिए क्योंकि बाबूजी की खुशी में ही उनकी खुशी थी, अम्मा के लिए असली गहना बाबूजी थे । अम्मा उनके दुख में साथ देना चाहती थी तथा गांधीजी के कहने पर उन्होंने गहने पहनने छोड़ दिए थे। उन्हें गहनों के जाने का कोई दुख न था।

3. एक शब्द में उत्तर लिखिए

1. बाबूजी ने अम्मा से किसकी मांग की?

गहनों की।

2. कहां जाने पर लोग अम्मा से गहनों के बारे में पूछेंगे?

मिरजापुर।

#SPJ3

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