एक दिन तेनालीराम ने देखा कि उसके घर के आस-पास कुछ चोर घूम रहे हैं। वह उनका इरादा समझ गया। उसने चारों को सुनाते हुए अपनी पत्नी से कहा, “देखो, आजकल चोरों का बड़ा ज़ोर है। अपने पास रुपया-पैसा और जो कीमती सामान है उसे एक बड़े संदूक में भर दो। मैं उसे बाग के कुएँ में छिपा दूँगा।” चोरों ने यह सुना तो बड़े प्रसन्न हुए। तेनालीराम ने एक संदूक लेकर उसमें ईंट-पत्थर भरे और उसने घर से लगे बगीचे में बने कुएँ में वह संदूक डाल दिया। रात होने पर चोर कुएँ पर आए, लेकिन किसी की भी कुएँ में घुसने की हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने एक उपाय सोचा। वे तीन बाल्टियाँ ले आए और कुएँ से पानी निकालने लगे। रात-भर वे पानी निकालते रहे। सवेरा होने पर पकड़े जाने के डर से चोर वहाँ से भागने लगे। तभी तेनालीराम वहाँ आ पहुँचा और चोरों से बोला, “भैया, मेरा धन्यवाद तो लेते जाओ, तुम लोगों ने रात-भर मेरे बगीचे में पानी दिया है।”
प्रश्न 1. तेनालीराम ने रुपए-पैसे और कीमती सामान कहाँ रखा?
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एक बड़े संदूक में भर कर कूए मे डाल दिए ।
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Answer:
chaar
Explanation:
chaar ia the answer
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