'एक था पेड़ और एक था ठूँठ ' मैं दिए गए विशलेषण एवं निष्कर्ष से क्या आप सहमत हैं पक्ष अथवा विपक्ष मैं अपना मत व्यक्त कीजिए
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जी हां, मैं पूरी तरह से सहमत हूं इसके विश्लेषण से क्योंकि लेखक के समझाने का तरीका बहुत अच्छा है। प्रभाकर जी जीवन और जगत से जुड़े हुए लोग हैं जो बहुत ही सकारात्मक सोच रखते थे।
समाज में लेने देने की परंपरा है,सुनने और बोलने की परंपरा है। जिन लोगों में यह नहीं है वह जड़ ही है।
हमारा जीवन एक पेड़ के समान होना चाहिए। जिसे झुकना और हिलना दोनों आना चाहिए।
समाज में लेने देने की परंपरा है,सुनने और बोलने की परंपरा है। जिन लोगों में यह नहीं है वह जड़ ही है।
हमारा जीवन एक पेड़ के समान होना चाहिए। जिसे झुकना और हिलना दोनों आना चाहिए।
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