एक दूसरे प्रकार के बड़े लोकप्रिय गाने आल्हा के हैं। अधिकतर ये बुंदेलखंडी में गाये जाते हैं । आरंभ तो इसका चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक से माना जाता है जिसने आल्हा - ऊदल की वीरता का अपने महाकाव्य में बखान किया, पर निश्चय ही उसके छंद को लेकर जनबोली में उसके विषय को दूसरे देहाती कवियों ने भी समय-समय पर अपने गीतों में आज भी बहुत प्रेम से गाये गाँवों में आज भी बहुत प्रेम से गाये जाते हैं। इन्हें गाने वाले गाँव गाँव ढोलक लिए गाते फिरते हैं। इसी की सीमा पर उन गीतों का भी स्थान है जिन्हें नट रस्सियों पर खेल करते हुए गाते हैं। अधिकतर ये गद्य पद्यात्मक हैं और इनके अपने बोल
1. "प्रेम" शब्द का पर्यायवाची शब्द अनुच्छेद में पहचानकर लिखिए ।
2. "कायरता" शब्द का विलोम शब्द पहचानिए । 3. "ई" प्रत्यय से बना शब्द पहचानिए
4. "लोक" उपसर्ग से बना शब्द पहचानिए ।
Answers
आरंभ तो इसका चंदेल राजाओं के राजकवि जगनिक से माना जाता है जिसने आल्हा-ऊदल की वीरता का अपने महाकाव्य में बखान किया, पर निश्चय ही उसके छंद को लेकर जनबोली में उसके विषय को दूसरे देहाती कवियों ने भी समय-समय पर अपने गीतों में उतारा और ये गीत हमारे गाँवों में आज भी बहुत प्रेम से गाए जाते हैं।30-Sep-2020
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प्रस्तुत प्रश्न लोकगीत नामक प्रबंध से दिया गया हैं|यह निबंध हिंदी साहित्य के सुपरिचित रचनाकार भगवत शरण उपाध्याय हैं|इनका जन्म १९१० में हुआ|इन्होने कविता,लेखनीआदि विधानों में रचना की हैं|हिंदी साहित्य की रूप रेखा,कालिदास का भारत,गंगा,गोदावरी आदि इनके प्रसिद्ध रचनाएँ हैं|लोकगीत निबंध पाठ हैं|निबंध का अर्थ हैं बांधना| लोकगीत और हमारी जीवन विधान का अनोखा सम्बंध है|
गाने वाले समूहों में गाते हुये देहांत फिरते हैं|भोजपुरी में करीब तिस चालीस बरसों से विदेशिया का प्रचार हुआ |विशेषकर बिहार के जिलोमे इस से बढकर कोई दुसरे गाने लोकप्रिय नहीं हैं|इन गीतों में अधिकतर प्रेमि की,प्रेमिकाओं की बात रहती हैं|इन गीतों से करुना,विरह का रस बहता हैं|
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प्रस्तुत प्रश्न लोकगीत नामक प्रबंध से दिया गया हैं|यह निबंध हिंदी साहित्य के सुपरिचित रचनाकार भगवत शरण उपाध्याय हैं|इनका जन्म १९१० में हुआ|इन्होने कविता,लेखनीआदि विधानों में रचना की हैं|हिंदी साहित्य की रूप रेखा,कालिदास का भारत,गंगा,गोदावरी आदि इनके प्रसिद्ध रचनाएँ हैं|लोकगीत निबंध पाठ हैं|निबंध का अर्थ हैं बांधना| लोकगीत और हमारी जीवन विधान का अनोखा सम्बंध है|
गाने वाले समूहों में गाते हुये देहांत फिरते हैं|भोजपुरी में करीब तिस चालीस बरसों से विदेशिया का प्रचार हुआ |विशेषकर बिहार के जिलोमे इस से बढकर कोई दुसरे गाने लोकप्रिय नहीं हैं|इन गीतों में अधिकतर प्रेमि की,प्रेमिकाओं की बात रहती हैं|इन गीतों से करुना,विरह का रस बहता हैं|