एक दिवसीय प्रवास का वर्णन करते हुए मित्र को पत्र लिखीये।
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एक दिवसीय प्रवास का वर्णन करते हुए मित्र को पत्र
प्रिय दोस्त कौशल
सदा खुश रहो,
जानते हो, दो दिन पहले मैं आगरा की एक दिन की यात्रा पर गया था। मेरा आगरा का ताजमहल देखने की बड़ी इच्छा थी और संयोग से मेरे पिताजी आगरा किसी कार्य हेतु जा रहे थे तो मैं भी उनके साथ आगरा चला गया। हम लोग रात में दिल्ली से चले और सुबह 6 बजे ही आगरा पहुंच गए थे। पहले हम लोग एक अच्छे से होटल में फ्रेश हुए। पिताजी को 9 बजे किसी दफ्तर में कुछ कार्य था। उनका एक घंटे में सारा कार्य निपट गया। फिर हम लोग आगरा का ताजमहल देखने के लिए निकल पड़े। आगरा का ताजमहल आगरा रेलवे स्टेशन से थोड़ी दूर पर है। हम लोग जैसे ही ताजमहल के परिसर में घुसे ताजमहल के सौंदर्य को देखकर मैं दंग रह गया। जितना मैंने किताबों में पढ़ा और टीवी पर जितना देखा था, ताजमहल उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत नजर आ रहा था। मैंने ताजमहल के चप्पे-चप्पे को देख कर उसका आनंद लिया। ताजमहल के पीछे कल-कल बहती यमुना नदी की छटा देखते ही बनती थी।
लोगों ने बताया चांदनी रात में ताजमहल देखने का एक अनोखा अनुभव है। अभी हमारे पास समय नहीं था, इसके लिए हमने अगली बार चांदनी रात में ताजमहल देखने का निश्चय किया। फिर ताजमहल देखने के बाद हम लोग आगरा के किले को देखने पहुँचे जो ताजमहल के पास ही है। ये किला दिल्ली के लाल किले जैसा ही है। बल्कि यह किला लाल किला से भी बड़ा किला है। हम लोगों की रात 10 बजे की ट्रेन थी। घूमफिर कर रात आठ बजे तक हम अपने होटल पहुंचे, वहां से भोजन आदि करके सामान आदि लेकर ट्रेन पकड़ने निकल पड़े। अगली बार आगरा जाऊंगा तो तुम भी मेरे साथ चलना। हम दोनों लोग चांदनी रात में ताजमहल के सौंदर्य को देखेंगे। शेष बातें अगले पत्र में..
तुम्हारा दोस्त,
मंजीत|
रामनगर सोसायटी,
तिलक रोड, नवरंगपुरा,
अहमदाबाद, 380001
दिनांक : 15 जून 2022
प्रिय मित्र जयेश,
सादर प्रणाम।
आज तुम्हारा पत्र मिला। जानकर खुशी हुई के तुम्हारी माताजी पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है। यह बताते हुए मुझे खुशी हो रही है की हमारी ग्रीष्मावकाश की आगरा की यात्रा मनोरंजक और ज्ञानवर्धक रही। तुम्हें यह पता होगा कि मैंने ग्रीष्मावकाश में आगरा की यात्रा करने की योजना बनाई थी। हम शाम के समय अहमदाबाद से निकल गए और अगले दिन 10 बजे आगरा पहुंच गए। पहुंचते ही हमने होटल में खाना खाया और उस के बाद ताजमहल देखने निकल गए।
हम जैसे ही ताजमहल के परिसर में घुसे, में तो ताजमहल के सौंदर्य को देखकर दंग रह गया। जितना मैंने किताबों में पढ़ा और टीवी पर जितना देखा था, ताजमहल उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत नजर आ रहा था। ताजमहल मुमताज की स्मृति में शहजहाँ द्वारा बनवाया गया है। यह संगमरमर का बना हुआ है। इसके किनारे यमुना नदी बहती है। संगमरमर के विशाल चबूतरे पर इसका निर्माण किया गया है। चबूतरे के चारों कोनों पर चार-गगनचुम्बी मीनारें है। मैंने ताजमहल के चप्पे-चप्पे को देख कर उसका आनंद लिया। आगरा में घूमफिर कर रात आठ बजे हम होटल पहुंचे। हमारी ट्रेन रात के 10 बजे की थी। होटल में भोजन करने के बाद ट्रेन पकड़ने निकल गए। में आशा करता हूं की तुम भी ताजमहल के सौंदर्य को अवश्य देखने जाओगे।
तुम्हारे माता-पिता को प्रणाम।
तुम्हारा प्रिय मित्र
वसंत