Political Science, asked by chintuchahar6, 4 months ago

एक ध्रुवीय व्यवस्था के मुख्य दोष बताओ​

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Answered by shishir303
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एक ध्रुवीय व्यवस्था से तात्पर्य ऐसी व्यवस्था से है, जिसमें पूरे विश्व में केवल एक ही शक्ति सर्वोपरि हो गई अर्थात एक ही महाशक्ति का वर्चस्व हो गया। इस व्यवस्था में एक महाशक्ति को नियंत्रित करने वाली दूसरी महाशक्ति का अभाव पाया जाता है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात अमेरिका का वर्चस्व एक ध्रुवीय व्यवस्था का उदाहरण है।

एक ध्रुवीय व्यवस्था के दोष इस प्रकार हैं...

  • एक ध्रुवीय व्यवस्था के कारण पूरे विश्व में अमेरिकी वर्चस्व बढ़ गया जिससे वह मनमाने ढंग से अपने निर्णय को लागू करने लगा और अन्य देशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने लगा।
  • एक ध्रुवीय व्यवस्था के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ पर भी अमेरिकी वर्चस्व का अधिपत्य हो गया और उसने संयुक्त राष्ट्र संघ के कई निर्णयों को समय-समय पर अपनी सुविधा के अनुसार मानने से इनकार कर दिया, जिससे संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्वसनीयता धूमिल हुई।
  • एक ध्रुवीय व्यवस्था से सुरक्षा परिषद में भी अमेरिकी मनमानी बढ़ी एवं शक्ति का संतुलन प्रभावित हुआ।
  • एक ध्रुवीय व्यवस्था के कारण अमेरिका ने विश्व में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए में आर्थिक सहायता के नाम पर अपना वर्चस्व स्थापित किया।
  • कालांतर में शीत युद्ध के समय अमेरिका द्वारा सोवियत संघ के विरुद्ध कई मुस्लिम देशों के कट्टरपंथियों का प्रश्रय देना और उन्हे मजूबत करना बाद में अमेरिका को ही भारी पड़ा क्योंकि ये कट्टरपंथी बाद में अमेरिका के ही विरुद्ध हो गये। इससे विश्व में आतंकवाद की घटनायें बढ़ीं। 9/11 का हमला इसका जीवंत उदाहरण है।

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