एक धनी लेकिन कंजूस आदमी ----- चावलों से भरी थैली लेकर घर जाना ----- रास्ते में एक भिखारी का चावल मांँगना ----- चावल का एक ही दाना देना ----- घर आकर देखने पर थैली में सोने का एक दाना निकालना ----- भिखारी के रूप में देवदूत ----- कंजूस का उसे खोजना ----- उसका ना मिलना ----- कंजूस का पछताना ----- सींख।
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एक गाँव में एक धनी व्यक्ति रहता था। वह बहुत कंजूस था। एक दिन वह कंजूस आदमी चावलों की थैली लेकर घर जा रहा था। रास्ते में उसे एक भिखारी दिखा। भिकारी ने कंजूस आदमी से चावल माँगे। कंजूस आदमी ने भिकारी को चावल का एक ही दाना दिया। घर जाकर कंजूस ने थैली खोली और देखा की चावल के थैली में एक सोने का दाना था। कंजूस को पता चला की वह भिकारी एक देवदूत था। कंजूस उसे खोजने के लिए घर के बाहर निकला। उसके बहुत खोजने के बाद भी उसे वह भिकारी नहीं मिला। उसे बहुत पछतावा हुआ।
सीख = कंजूसी नहीं करनी चाहिए।
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सीख = कंजूसी नहीं करनी चाहिए।