Hindi, asked by yadavjahanvi9, 5 months ago

एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लग भग 80-100 शब्दो में अनुच्छेद ,, महानगरों में बढ़ता प्रदूषण। १. भूमिका २. गंभीर ३. समस्य ४. कारण ५. समाधान​

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Answered by yadavbinay174
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महानगरों में बढ़ता प्रदूषण

1. भूमिका : प्रदूषण बना कैसे पहले यह हम जानते हैं प्रदूषण का अर्थ है पर पर जोड़ दूसन अर्थात हमारे चारों ओर जितने भी गंदगी दिखती है उसी को हम प्रदूषण कहते हैं। हमारे चारों और पर्यावरण में हो रहे दूसन को अर्थात प्रदूषण कहते है।

2. गंभीर : आज की सबसे गंभीर समस्या है प्रदूषण जितने भी बड़े बड़े सहारे हैं वहां और भी अधिक से अधिक प्रदूषण खेला जा रहा है दिन प्रतिदिन हमारा भारत प्रदूषित होते जा रहा है अगर हम इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान नहीं करेंगे तो यहां के हर नागरिक इस प्रदूषण की समस्या समस्या से जूझ रहा होगा । अगर हम इसे गंभीर से रूप से नहीं सोचेंगे तो आने वाला कल में या एक प्रदूषण एक गंभीर रूप से हम पर हावी हो जाएगी और हम कई तरह की बीमारियों से पीड़ित रहेंगे ।

3. समस्य : आज देश की सबसे बड़ी समस्या है प्रदूषण जितने भी बड़े महानगर हैं वहां अधिक से अधिक प्रदूषण की समस्या है आज महानगरों में इतनी अधिक प्रदूषण इसलिए क्योंकि वहां कल कारखानों से निकलने वाले गंदी पानी नदी में बहा दिया जाता है जिसे जल प्रदूषण होता है इसकी समस्या है कि हम नागरिक अभी तक जागरूक नहीं हुए हैं जिसके कारण प्रदूषण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है

4. कारण : आज महानगरों में बड़े से बड़े कल कारखाने लगाए जा रहे हैं और उससे निकलने वाले गंदी पानी नदी में या तालाबों में बहा दिया जाता है जिसके कारण जल प्रदूषण हो रहा है और उससे निकलने वाले गंदी वायु जो जो वायु प्रदूषण सन को फैलाता है आज कारखानों में अगर उससे निकलने वाले गंदे दूषित वायु को छन्नी के रूप में निकाला जाए तो उससे वायु प्रदूषण नहीं होगा लेकिन ऐसा नहीं होता है जिसके कारण वायु प्रदूषण हो रहा है आज हम जानते हैं कि कोई भी किसान बिना उर्वरक का खेती नहीं करता है जिसके कारण वहां का मिट्टी ढीली पड़ जाती है और वह कुछ समय के बाद बंजर करो ले लेती है जिसके कारण भूमि प्रदूषण हो रहा है आज हमारे भारत में अत्यधिक प्लास्टिक जो कभी ना करने वाला पदार्थ को यूज किया जा रहा है जिसके कारण और भी हमारा पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है ।

4. समाधान : प्रदूषण के रोकने के लिए हमें सबसे पहले एकजुट होकर इस पर विचार विमर्श करना होगा तभी हम आने वाले समय में प्रदूषण की समस्या से मुक्त हो सकते हैं अन्यथा जब तक हम एकजुटता का व्यवहार नहीं दिखाएंगे तब तक हम इस हो रहे प्रदूषण से मुक्ति नहीं हो पाएंगे । अत्यधिक पेड़ लगाने से हम सरकार के नीति आयोग स्वच्छ भारत के अभियान को पालन करने से हम इस समस्या का समाधान कर पाएंगे ।

।। तो चलिए आज हम सब मिलकर शपथ लेते हैं कि हमें स्वच्छ भारत बनाना है तो बनाना है ।।

Answered by s14977agovind07846
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Answer:

एक समस्या

प्रस्तावना : विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं।

प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।

प्रदूषण कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं - वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण ।

वायु-प्रदूषण : महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है।

जल-प्रदूषण : कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है।

ध्वनि-प्रदूषण : मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है।

प्रदूषणों के दुष्परिणाम: उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।

प्रदूषण के कारण : प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।

सुधार के उपाय : विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।

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