Hindi, asked by sonidivya742, 1 month ago

एक या अधिक पदों से बना व्यंजक एक खाली स्थान कहलाता है​

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Answered by sumandeepkaur199
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भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार

मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44वें संविधान संशोधन के द्वारा संपत्ति का अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर इसे संविधान के अनुच्छेद 300 (a) के अन्तगर्त क़ानूनी अधिकार के रूप में रखा गया है.

aajtak.in

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नई दिल्ली,

13 अक्टूबर 2014,

(अपडेटेड 13 अक्टूबर 2014, 1:26 PM IST)

भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़े तथ्‍य इस प्रकार हैं:

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1. इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है.

2. इसका वर्णन संविधान के भाग-3 में (अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35) है.

3. इसमें संशोधन हो सकता है और राष्ट्रीय आपात के दौरान (अनुच्छेद 352) जीवन एवं व्यकितिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है.

4. मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44वें संविधान संशोधन (1979 ई०) के द्वारा संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31 से अनुच्छेद 19f) को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर इसे संविधान के अनुच्छेद 300 (a) के अन्तगर्त क़ानूनी अधिकार के रूप में रखा गया है.

भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित मूल अधिकार प्राप्त हैं:

1. समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18)

2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)

5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)

6. संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32)

1. समता या समानता का अधिकार:

अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समता- इसका अर्थ यह है कि राज्य सही व्यक्तियों के लिए एक समान कानून बनाएगा तथा उन पर एक समान ढंग से उन्‍हें लागू करेगा.

अनुच्छेद 15: धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म-स्थान के आधार पर भेद-भाव का निषेद- राज्य के द्वारा धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग एवं जन्म-स्थान आदि के आधार पर नागरिकों के प्रति जीवन के किसी भी क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जाएगा.

अनुच्छेद 16: लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता- राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी. अपवाद- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग.

अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का अंत- अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए इससे दंडनीय अपराध घोषित किया गया है.

अनुच्छेद 18: उपाधियों का अंत- सेना या विधा संबंधी सम्मान के सिवाए अन्य कोई भी उपाधि राज्य द्वारा प्रदान नहीं की जाएगी. भारत का कोई नागरिक किसी अन्य देश से बिना राष्ट्रपति की आज्ञा के कोई उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता है.

2. स्वतंत्रता का अधिकार:

अनुच्छेद 19- मूल संविधान में 7 तरह की स्वतंत्रता का उल्लेख था, अब सिर्फ 6 हैं:

19 (a) बोलने की स्वतंत्रता.

19 (b) शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने और सभा .

Answered by gs7729590
6

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