एकक्षण का विराम नहीं है।
125-निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख
बानी जगरानी की उदारता बरवानी ज
ऐसी मति उदित उदार कौन की भई।
देवता प्रसिद्ध सिद्ध रिषिराज तपबृद्ध,
कहि-कहि हारे सब कहि न काहू लई ।
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