Hindi, asked by mr18rg, 3 months ago

"एकल परिवार” पर एक आलेख लिखिए।​

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Answered by 17vishal
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आज अधिकतर भारतीय परिवार एकल परिवार के स्वरूप बन चुके है जिनमें माता पिता और उन्के अविवाहित पुत्र पुत्रियाँ ही साथ रहते हैं. भारत में परिवार का आशय संयुक्त परिवार ही माना जाता था. मैक्समूलर का कहना है कि भारत में परिवार का आशय संयुक्त परिवार से है जिनमें दो या दो से अधिक रक्त सम्बन्धी परिवार एक साथ रहते हैं.

21 वीं सदी के शुरूआती दौर में ही हमारे देश से संयुक्त परिवार प्रणाली का हास होना शुरू हो गया. बड़े परिवार तेजी से टूटकर एकांकी परिवार का रूप लेने लगे. एकल परिवार को आदर्श परिवार मानने तथा जॉइंट फॅमिली के टूटने के अनेक कारण हैं जिनकी चर्चा आज हम यहाँ करेगे.

घर से बाहर दूसरे शहरों या राज्यों में नौकरी व्यवसाय लगने के कारण एकल परिवार को तेजी से प्रोत्साहन मिले हैं. अपने भरे पुरे परिवार को छोड़कर शहर में अपनी पत्नी तथा बच्चों के साथ रहने पर वो परिस्थति वंश एकल परिवार का रूप ले लेते हैं. जिनकी मुख्य वजह गाँवों में रोजगार के अवसरों की कमी हैं.आजीविका के लिए अपने घर को छोड़कर लोगों को बाहर निकलना पड़ रहा हैं.

तेजी से टूटते संयुक्त परिवार और एकल परिवार को बढ़ावा मिलने का दूसरा बड़ा कारण आज के यूथ की संकीर्ण सोच भी जिम्मेदार हैं. शादी के बाद पति पत्नी को घर के अन्य लोगों से प्रोब्लम होनी आरम्भ हो जाती हैं. माता पिता या बडो की बात उन्हें अपने जीवन में स्वतंत्रता की सीमाएं लगने लग जाती हैं. उन्हें लगता है वे बड़े घर में रहकर मनचाहे कपड़े, मनचाहा काम और खुलकर रोमांच नहीं कर पाते है. इस तरह के संकीर्ण विचारों से प्रेरित होकर वे माता पिता से अलग हो जाती हैं और एक नयें एकल परिवार का जन्म विचारों की अपरिपक्वता से जन्म ले लेता हैं.

आम तौर पर बड़े आकार के परिवार होने के कारण घर में लड़ाई झगड़ा आम बात हैं. बड़ा परिवार होने के कारण बच्चों में बड़ो में छोटी मोटी बात पर कहासुनी हो जाती है जिन्हें अपने अपने बच्चों के माँ बाप पक्ष लेने से बात का बतंगड बन जाते हैं कई बार इस तरह की आपसी कलह एकल परिवार के जन्म की पृष्टभूमि तैयार कर देते हैं.

एकल परिवार के कई फायदे भी हैं. एक तरफ जहाँ संयुक्त परिवार में आर्थिक बोझ में बढ़ जाता हैं कमाने वाले बहुत कम होते हैं जबकि खर्च करने वालों व खाने वालों की संख्या अधिक होती हैं. एकल परिवार के जन्म से हरेक व्यक्ति को किसी न किसी आर्थिक कार्य में संग्लन होने से जीवन जीने के साधनों और सुख सुविधाओं में वृद्धि हुई हैं.

दूसरी तरफ एकल परिवार के कुछ नुकसान भी हैं. छोटे और एकांकी परिवारों के बनने से परिवार में बच्चों की देखभाल उन्हें दादा दादी आदि का प्यार नहीं मिल पाता हैं. माता पिता के काम पर चले जाने के बाद बच्चे अकेलेपन में जीवन बिताते हैं. एकल परिवारों से छोटी छोटी घटनाओं पर व्यतीत रहना, कोई सलाह देने वाला न होना, आपसी कलह पर कोई समझाइश न होने के कारण पति पत्नी के रिश्तों में दरार पड़ जाती हैं.

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