एकल परिवारों (single families) में आज भी 'अतिथि देवो भव:' (guest is like god) का महत्त्व है। debate on this topic (for)
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अतिथि देवो भवः
अतिथि देवो भवः का अर्थ होता जब भी हमारे घर या देश में कोई बहार से आता हमें उसका सम्मान और आदर करना चाहिए | अतिथि को हम मेहमान कहते है , और मेहमान भगवान के समान होता है | हमें मेहमानों के साथ अच्छे से व्यवहार करना चाहिए और उनकी सहायता करनी चाहिए | अतिथि हमेशा अपना समझ कर ही घर आते है , इसलिए हमें उनका सम्मान करना चाहिए | जितने दिन वह रहना चाहे उनकी देखभाल करनी चाहिए | किसी भी समय सब को किसी ना किस की जरूरत पड़ती है | आज यह हमारे घर आए है कल हमें भी जाना पड़ सकता है |
यह हमारे संस्कार बताते है की सब की इज्ज़त ,आदर-सत्कार , और विनम्रता से पेश आना चाहिए | यह भारतीय समाज का एक अहम हिस्सा है। हमें उसके साथ कभी भी गलत तरीके से पेश नहीं आना चाहिए | अतिथि को हमें खान पान का ध्यान रखना चाहिए और उनके रहने की उचित व्यवस्था करनी चाहिए । भारतीय संस्कृति में अतिथि का दर्जा पूजनीय है और वह देवों के समान है।
ऐसा मानने यह कारण है इंसानियत ,नैतिकता , हमारे संस्कार हमें यह सिखाते है की सब का आदर और सम्मान करना चाहिए | अतिथि देवो भवः , अतिथि को हम मेहमान कहते है , और मेहमान भगवान के समान होता है |