एकलव्य किस वर्ग से था.
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एकलव्य निषाद वर्ग यानि वनवासी वर्ग से संबंध रखता था। वह भील जाति का एक युवक था, जो वनों में निवास करते थे।
व्याख्या :
वह धनुर्विद्या में बेहद निपुण था और परंपरागत रूप से गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखना चाहता था। वह गुरु द्रोणाचार्य की मिट्टी की मूर्ति बनाकर नित्य उसके सामने धनुर्विद्या का अभ्यास करता था। जब वह विधिवत् धनुर्विद्या सीखने के लिए गुरु द्रोणाचार्य के पास गया, तो आचार्य ने उसकी परीक्षा देने को कहा तो एकव्य ने तुरंत सामने से आ रहे भोंकते कुत्ते के मुंह को तीरों से भर दिया कि देखकर गुरु द्रोणाचार्य चकित रह गए। उन्होंने उसे आगे शिक्षा देने से मना कर दिया क्योंकि वो पाठशाल केवल राजवंश के लोगों के लिये आरक्षित थी। उन्होने अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने का वचन दिया था। एकलव्य की निपुणता देखकर उन्हे महसूस हुआ कि एकलव्य सही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर न बन जाये और पांडवों के लिये घातक सिद्ध न हो। इसलिये उन्होंने एकलव्य से उसका अंगूठा मांग लिया।