ekanki bahu ki vida answer
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क. प्रस्तुत कथन का अर्थ यह है कि हम उस समय तक दूसरों की पीड़ा का अनुभव नहीं कर सकते जब तक हमें वैसी पीड़ा न हो। इस पाठ में भी जीवन लाल ने प्रमोद के साथ कठोर व्यवहार किया बिना यह जाने कि प्रमोद को कितना कष्ट होता होगा। उन्हें प्रमोद के कष्टों का अनुभव उस समय हुआ जब गौरी अपने ससुराल से विदा होकर नहीं आई।
ख. प्रस्तुत कथन में यह बात स्पष्ट हो जाती है कि यहाँ गर्व-अभिमान की बात हो रही है। जीवन लाल का यह मानना है कि उन्होंने अपनी बेटी गौरी की शादी में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। पर्याप्त दहेज़ और समान देकर उन्होंने लड़के वालों का मुँह बंद कर दिया है।
2. अन्याय करने वाले के साथ अन्याय सहने वाला भी दोषी होता है क्योंकि इससे अन्यायी को शह मिलती है और वह दूसरों पर भी अन्याय करने लगता है। उदाहरण के तौर पर अगर एक मालिक अपने नौकर से दिन-रात काम करवाए और कम-से-कम वेतन दे तो यह भी अन्याय है जिसका प्रतिकार नौकर को अवश्य करना चाहिए।
3. एकांकी में कोष्ठक में लिखे गए संकेतों से वक्ता, श्रोता, स्थान, काल आदि की जानकारी मिल जाती है जिससे एकांकी को पूर्णत: समझने में मदद मिलती है।
4. क्या होता यदि
क. यदि रमेश बाबू घर पर होते तो जीवन लाल और प्रमोद के बीच हुए वार्तालाप आवेशपूर्ण न होते।
ख. यदि राजेश्वरी कमला और प्रमोद का साथ न देती तो कमला की विदाई लगभग असंभव हो जाती।
ग. यदि जीवन लाल की अपनी बेटी की विदाई हो गई होती तो उनका घमंड कभी भी चूर-चूर न होता और न ही राजेश्वरी की वाणी उनकी आँखें खोल पातीं।
ख. प्रस्तुत कथन में यह बात स्पष्ट हो जाती है कि यहाँ गर्व-अभिमान की बात हो रही है। जीवन लाल का यह मानना है कि उन्होंने अपनी बेटी गौरी की शादी में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। पर्याप्त दहेज़ और समान देकर उन्होंने लड़के वालों का मुँह बंद कर दिया है।
2. अन्याय करने वाले के साथ अन्याय सहने वाला भी दोषी होता है क्योंकि इससे अन्यायी को शह मिलती है और वह दूसरों पर भी अन्याय करने लगता है। उदाहरण के तौर पर अगर एक मालिक अपने नौकर से दिन-रात काम करवाए और कम-से-कम वेतन दे तो यह भी अन्याय है जिसका प्रतिकार नौकर को अवश्य करना चाहिए।
3. एकांकी में कोष्ठक में लिखे गए संकेतों से वक्ता, श्रोता, स्थान, काल आदि की जानकारी मिल जाती है जिससे एकांकी को पूर्णत: समझने में मदद मिलती है।
4. क्या होता यदि
क. यदि रमेश बाबू घर पर होते तो जीवन लाल और प्रमोद के बीच हुए वार्तालाप आवेशपूर्ण न होते।
ख. यदि राजेश्वरी कमला और प्रमोद का साथ न देती तो कमला की विदाई लगभग असंभव हो जाती।
ग. यदि जीवन लाल की अपनी बेटी की विदाई हो गई होती तो उनका घमंड कभी भी चूर-चूर न होता और न ही राजेश्वरी की वाणी उनकी आँखें खोल पातीं।
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