एकता आज्ञाँकिता का
एकता आज्ञाँकिता का मन्त्र जीवन व्याप्त हो।
श्वास और प्रश्वास में निज नेता पर विश्वास हो ।।धृ।।
स्वेच्छा से जीवन अपना राष्ट्र के आधीन किया।
कार्यशक्ति का एक हृदय से संगठना को दान दिया।
इन प्राणों का तो केवल निज नेता ही अधिकारी हो ।।१।।
जन भ्रान्ति को युक्ति बुद्धि से सहज रूप में दूर करे।
संगठना का रूप देखने एकत्रित नित हुआ करें।
महत कार्य का भानु उदय हो रणभेरी जब बजती हो ।।२।।
वायु द्वारा चिंगारी से दावाग्नि जल उठती है।
जल बिन्दु की प्रचण्ड धारा सृष्टि प्रलय कर सकती है।
संगठना में अजेय शक्ति पूर्ण विकसित होती हो ।।३।।
अखण्डता की उपासना घर घर निशिदिन होती हो।
पंक्ति पंक्ति इतिहास शौर्यमय उर रोमांचित करती हो।
भारत माँ के रणवीरों का अनुपम दृश्य रंगाती हो ।।४।।
स्नेह भरे उत्साह भरे रग रग में भारत माता की।
सतत जलाएँ दीप मालिका ज्वलन्त अन्तस्करणों की।
संकेतों की राह देखते केन्द्र ज्योति घर घर हो ।।५।।
92
Answers
Answered by
0
Answer:नेताजी का चश्मा (Netaji ka Chashma ) नेता जी का चश्मा, कहानी स्वयं प्रकाश जी द्वारा लिखी गयी ,एक प्रसिद्ध कहानी है . प्रस्तुत कहानी में ,हालदार साहब अपनी कंपनी के काम से हर १५ वें दिन के काम से उस क़स्बे से गुजरते थे|
Explanation:
Similar questions