एकता में बल है की कहानी। Ekta Mein Bal ki Kahani
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नमस्कार साथियों आज मैं आपको हिंदी की एक रोचक कहानी ” एकता का बल ” के बारे में बताने जा रहा हूं , जिसे पढ़कर आपको बहुत ही आनंद आएगा ।
एक जंगल में एक चूहा और एक कबूतर रहता था , दोनों बहुत अच्छे मित्र थे । कबूतर और चूहे की दोस्ती को देखकर किसी को भी समझ नहीं आता था कि , एक जमीन के अंदर रहता है और दूसरा पेड़ के ऊपर । फिर भी इन दोनों में इतनी गहरी दोस्ती कैसे है । यह देख कर एक दिन एक कौवा उनके पास जाता है , और कहता है कि , आप लोग मुझे भी अपना दोस्त बना लो ।मैं आप लोगों को बहुत पसंद करता हूं , और मैं आपके सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहूंगा ।
यह बात सुनकर चूहे ने कहा कि कौवा और चूहे की दुश्मनी तो आदि – अनादि काल से चली आ रही है । भला चूहे की दोस्ती कौंवे से कैसे हो सकती है । कौवा, चूहे का जानी दुश्मन होता है , हम तुम पर कैसे विश्वास कर ले । यह बात सुनकर कौवा गिड़गिड़ाने लगा कि अगर तुम लोगों ने मुझे अपना दोस्त नहीं बनाया तो मैं , बिना कुछ खाए पीए ही अपने प्राण त्याग दूंगा । कौवे के बहुत मनाने और बार बार विश्वास दिलाने पर कबूतर ने कहा कि चलो एक बार हम इसका विश्वास कर लेते हैं , और इसे अपना दोस्त बना लेते हैं । इस तरह कौवा , कबूतर और चूहा तीनों दोस्त बन गए । दिन यूं ही बीतते गए और उन्होंने देखा कि कौवा एक बहुत अच्छा दोस्त है , और हमेशा उनकी मदद के लिए तैयार रहता है , कौवा सच्चा था , वह अपने दोस्तों को बेइंतहा प्यार करता था , तीनों दोस्त एक साथ मजे से रहते थे तथा सुख दुख में एक – दूसरे का साथ देते थे । कुछ समय पश्चात उस जगह पर भयानक अकाल पड़ा नदी – नाले सूखने लगे , पेड़-पौधे , घास सभी सूखने लगे ,और जंगल में खाने की बहुत किल्लत हो गई ।
कौवे ने कहा कि दोस्तों अब यहां पर रहना उचित नहीं है , यहां पर रहेंगे तो भूख से मर जाएंगे । यहां से बहुत दूर दूसरा जंगल है , जहां पर मेरा एक दोस्त है और वहां का जंगल हरा-भरा है , वहां पर खाने की खूब सारी चीजें हैं , हम लोगों को वहां पर जाना चाहिए । वहां पर हमारी मदद के लिए मेरा दोस्त हमेशा तैयार रहता है, पहले तो कबूतर और चूहे को यह उपाय अच्छा नहीं लगा लेकिन बाद में सोच कर उन्होंने कौवे की बात मान ली और तीनों जंगल के लिए रवाना हो गए । कौवा चूहे को अपने चोंच में दबा कर उड़ने लगा और साथ में कबूतर भी उड़ने लगा । वे लोग बड़ी सावधानी से आगे बढ़ने लगे , दूसरे जंगल में पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि यह जंगल तो वाकई बहुत हरा-भरा है , और यहां खाने का भंडार है । कौवा एक तालाब के किनारे उतर गया और चूहे को भी नीचे उतार दिया । कबूतर भी कौवा के पास आकर उतर गया , फिर कौवे ने अपने दोस्त को जोर – जोर से आवाज लगाई ।
तालाब से निकल कर उनके पास एक बड़ा सा कछुवा आया और उसने कौवे से कहा – मेरे दोस्त तुम कितने दिन बाद आए हो , कहो तुम कैसे हो ? सब कुशल मंगल तो है ना ? तो कौवे ने सारी बात अपने दोस्त को बता दी । चारों दोस्त उस नदी के किनारे हंसी – खुशी रहने लगे । कुछ दिन बाद जब यह चारों तालाब के किनारे बैठ कर बातें कर रहे थे , तभी एक हिरण भागते – भागते उनके पास आया , हिरण हाँफ रहा था , उसकी साँसे फुली हुई थी । कौंवे ने कहा ओ भाई हिरन कहां चले जा रहे हो तुम इतना डर क्यों रहे हो ? तब हिरन ने कहा क्या तुम कुछ जानते हो बहुत बड़ी कठिनाई आने वाली है । यहां पर कुछ दूर नदी के किनारे एक राजा ने अपना डेरा लगाया है , इस राजा के सैनिक बहुत ही क्रूर और अत्याचारी है । कल वे इधर हि शिकार के लिए आयेंगे । उनके सामने जो भी आता है , उन्हें वो नष्ट कर देते हैं । अगर अपनी जान बचाना चाहते हो तो तुरंत यहां से भाग जाओ ! क्योंकि वे लोग कल सुबह ही शिकार के लिए निकल जायेंगे , हमारे पास समय बहुत कम है। यह बात सुनकर सभी परेशान हो गए और चारों दोस्तों ने हिरण के साथ कही दूर चले जाने का निश्चय किया ।
अब पांचों जानवर दौड़ते-दौड़ते दूसरी जगह पर जाने लगे चूंकि कछुवा बहुत बड़ा था और वह जमीन पर रेंगता है , इसलिए सभी धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे । कुछ दूर जाने के बाद एक शिकारी की नजर उस कछुवे पर पड़ गई , शिकारी दौड़ते हुए उसके पास आया । हिरन भाग गई कौवा और कबूतर पेड़ पर चढ़ गयें , चूहा बिल में घुस गया । लेकिन कछुवा कुछ ना कर पाया और उसे शिकारी ने पकड़ लिया और अपनी जाल में भरकर चलने लगा । यह देख कर सभी दोस्त बहुत परेशान हो गए और सोचने लगे कि कैसे इस संकट से छुटकारा पाया जाए और अपने दोस्त की जान बचा जाये ।उन्होंने एक तरकीब निकाली ।
जैसे ही नदी के किनारे शिकारी ने जाल को नीचे रखा और खुद हाथ मुंह धोने के लिए नदी के नीचे उतरा वहीं पर कुछ दूर हिरन जमीन पर लेट गई और मरने का नाटक करने लगी । इतने में कौवा आया और हिरण पर चोंच मारने लगा । यह देख कर शिकारी ने सोचा कि यह हिरन अभी-अभी मरी होगी , उसका माँस अभी ताजा होगा । उसने उसे उठाने के नियत से उसके पास गया तभी बिल से चूहा बाहर आया और उसने कछुवे के जाल को काट दिया । कछुवा जल्दी से निकलकर तुरंत ही नदी में कूद गया और उसकी गहराइयों में गायब हो गया । चूहा बिल में घुस गया हिरन के नजदीक आते ही कौवा उड़ गया और हिरण भी तेज दौड़ लगाते हुए जंगलों में छिप गई । इस तरह सभी साथियों ने हिम्मत और बहादुरी के साथ काम करके , एकता से रहकर उन्होंने सबकी जान बचा ली। सभी साथी फिर से एक बार अपने गंतव्य के लिए निकल पड़े।
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि , अगर एकता के साथ काम किया जाए तो बड़ी से बड़ी कठिनाई भी आसानी से हल हो जाती है ।
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☑ Required Answer-
☑ Required Answer-'एकता में शक्ति है'
ये कहावत यह सन्देश देती है कि ताकत एकता से ही आती है, जैसे कि मुश्किल वक़्त में जब लोग एक साथ खड़े रहते हैं, वे ज्यादा मजबूत होते हैं और कई तरह की परेशानियों का आसानी से सामना कर सकते हैं। ये बात सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि अन्य प्राणियों पर भी बराबर लागू होती है।
एकता एक तरह से साथ रहने की क्रिया होती है, जो की इंसानों और कुछ अन्य प्राणियों में देखने को मिलती है। इसका मतलब है कि वक़्त चाहे अच्छा हो या बुरा एक दुसरे के साथ रहना और मदद करना चाहिए। इन्सान परिवार और समाज में रहता है जो उसे मजबूत बनाता है, उनकी अपेक्षा जो अकेले रहते हैं। क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिले हैं जो अकेले रहता हो, न कोई परिवार न दोस्त? क्या आपने इस बात पर गौर किया है वह कितना असहाय होता है, परिस्थतियों को लेकर, और अन्य तरह के खतरों को लेकर?
एक साथ रहना लोगों को तमाम तरह की धमकियों से बचाने के साथ-साथ भावनात्मक समर्थन देने के लिए शारीरिक श्रेष्ठता प्रदान करता है। जब लोगों का एक समूह साथ साथ रहता है, वे सिर्फ आपस में लड़ते ही नहीं हैं बल्कि भावनात्मक ऊँच-नीच के मामले में एक-दूसरे की मदद भी करते हैं।
महत्त्व
'एकता में शक्ति है' इस कहावत का ये महत्त्व है कि ये लोगों में एकता की शक्ति को जागृत करता है, जो समाज में बने रहने का एक सबसे अहम मानदंड माना जाता है। केवल तब जब लोग एकजुट होते हैं; वे समाज की तरक्की के लिए काम करते हैं, साथ-साथ सभी मुश्किलों के खिलाफ। जबकि दूसरी तरफ, अकेले खड़े रहने से, उन्हें हर एक चीज के लिए अकेले ही लड़ना पड़ता है।
'एकता में शक्ति है' का सबसे बेहतर उदाहरण है एक विकासशील देश। यह कहावत नागरिकों को प्रेरित करती है कि हर तरह से अपने देश के लिए अच्छा करें, साथ साथ रहकर। अलग अलग धर्म, जाति, पृष्ठभूमि, आदि के लोग, साथ रहते हैं, देश के विकास में अपना सहयोग देते हैं साथ ही साथ इसे बाहरियों से बचाते भी हैं।