ekta ka mahatva per anushed
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Helo mate here your ans
संगठन में ही शक्ति है’ इस बात को कोई भी नहीं झुठला सकता। एकता ही सब शक्तियों का मूल है। किसी भी परिवार, राष्ट्र, समाज या विश्व की उन्नति संगठन पर ही निर्भर करती है। संगठन से निर्बल व्यक्ति भी बलवान बन जाता है, और वह सुख तथा सफलता प्राप्त कर सकता है।संगठन की महत्ता अनमोल और अवर्णनीय है। अकेला धागा कमजोर होता है, आसानी से टूट जाता है। लेकिल अनेक धागों के मेल से बनी रस्सी बड़े-बड़े हाथियों को भी अपने वश में कर लेती है। पानी की अकेली बूंद बेमोल होती है, लेकिन जब बूंद इकट्ठी होकर नदी बन जाती है तो उनका जल गंगाजल बन जाता है।
छोटी-छोटी ईंटों के मेल से बड़ा महल बनकर तैयार हो जाता है। अकेला सैनिक शत्रुओं से डरकर भाग जाता है लेकिन कई सैनिक मिलकर दुश्मन के छक्के छुड़ा देते हैं। अनेकों मधुमक्खियाँ मिलकर एक बड़ा छत्ता तैयार कर लेती है और शहद देती है। किसी ने सच ही कहा है, “अकेला चना फाड़ नहीं फोड़ सकता।”