ekta mai bal kahani in hindi
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वे बहुत मेहनती और ईमानदार थे। बस अगर कोई बुरी बात थी तो यह कि उनका आपस में झगड़ा ही होता रहता था। वे किसी बात पर आपस में सहमत नहीं होते थे। यह सब देख उनका पिता धर्म सिंह बहुत दुखी होता था।
एक बार किसान धर्म सिंह बहुत बीमार पड़ गया। अब उसे यह चिन्ता सताने लगी कि अगर उसे कुछ हो गया तो उसके बेटों का क्या होगा। तभी उसे एक तरकीब सूझी। उसने बहुत सी लकड़ियां इकट्ठी की और उनका एक गट्ठर बनाया।
किसान ने अपने बेटों को बुलाया और उन्हें बारी-बारी से वो गट्ठर तोड़ने को दिया। कोई भी उसे नहीं तोड़ सका। उसके बाद किसान ने उस गट्ठर को खोल कर सबको एक एक लकड़ी दी और तोड़ने को कहा। इस बार सबने झट से अपनी-अपनी लकड़ी तोड़ दी।
तब किसान ने सब को समझाया – ” देखो ! जब मैने तुम सब को यह गट्ठर तोड़ने को दिया तो कोई भी इसे तोड़ नहीं पाया। लेकिन जैसे ही उसे अलग करके एक-एक लकड़ी दी तो उसे सब ने आसानी से तोड़ दिया। ऐसे ही अगर तुम सब मिल कर रहोगे तो हर मुसीबत का मुकाबला कर सकते हो, जो अलग-अलग रह कर नहीं कर सकते।
यह बात किसान के चारों बेटों की समझ में आ गई और फिर सब मिल जुल कर रहने लगे। किसान भी बहुत खुश हुआ।
इसलिए कहते हैं – ” एकता में बहुत बल होता है।
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एक धर्म सिंह नाम का किसान था। उसके चार बेटे थे।
वे बहुत मेहनती और ईमानदार थे। बस अगर कोई बुरी बात थी तो यह कि उनका आपस में झगड़ा ही होता रहता था। वे किसी बात पर आपस में सहमत नहीं होते थे। यह सब देख उनका पिता धर्म सिंह बहुत दुखी होता था।
एक बार किसान धर्म सिंह बहुत बीमार पड़ गया। अब उसे यह चिन्ता सताने लगी कि अगर उसे कुछ हो गया तो उसके बेटों का क्या होगा। तभी उसे एक तरकीब सूझी। उसने बहुत सी लकड़ियां इकट्ठी की और उनका एक गट्ठर बनाया।
किसान ने अपने बेटों को बुलाया और उन्हें बारी-बारी से वो गट्ठर तोड़ने को दिया। कोई भी उसे नहीं तोड़ सका। उसके बाद किसान ने उस गट्ठर को खोल कर सबको एक एक लकड़ी दी और तोड़ने को कहा। इस बार सबने झट से अपनी-अपनी लकड़ी तोड़ दी।
तब किसान ने सब को समझाया – ” देखो ! जब मैने तुम सब को यह गट्ठर तोड़ने को दिया तो कोई भी इसे तोड़ नहीं पाया। लेकिन जैसे ही उसे अलग करके एक-एक लकड़ी दी तो उसे सब ने आसानी से तोड़ दिया। ऐसे ही अगर तुम सब मिल कर रहोगे तो हर मुसीबत का मुकाबला कर सकते हो, जो अलग-अलग रह कर नहीं कर सकते।
यह बात किसान के चारों बेटों की समझ में आ गई और फिर सब मिल जुल कर रहने लगे। किसान भी बहुत खुश हुआ।
इसलिए कहते हैं – ” एकता में बहुत बल होता है।
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