'ekta mei shakti hai' par laghu katha lekhan likhiye
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एक गाँव में रामू नाम का एक किसान रहा करता था। राघव खेती कर के अपना और परिवार का भरण-पोषण करता था। राघव के चार पुत्र थे – बबलू, डब्लू, मोनू, सोनू। चार-चार पुत्र होने के बावजूद रामू बड़ा दुखी रहा करता था। कारण था उसके चारों पुत्रों का आपस में मनमुटाव। रामू के चारों पुत्र हमेशा आपस में लड़ते – झगड़ते रहते थे। रामू को हमेशा यही चिंता लगी रहती थी कि उसके मरने के बाद उसके चारों बेटे आपस में लड़ते रहेंगे और लोग उनकी इस बेवकूफी का फायदा उठाते रहेंगे।
धीरे-धीरे दिन निकलते गए और एक दिन की बात है। रामू किसान बहुत बीमार पड़ गया और उसे लगा की उसकी मुत्यु अब बहुत निकट आ चुकी है। उसने अपने बेटों को समझाने के लिए एक योजना बनाई। उसने चारों बेटों को अपने पास बुलाया और उनको कुछ लकड़ियों को इकठ्ठा कर के लाने के लिए कहा। चारों बेटों को कुछ समझ तो नहीं आया पर पिता के कहे अनुसार उन सभी ने कुछ लकड़ियां इकट्ठी कर ली। जब लकड़ियां इकट्ठी हो गयी तो चारों ने उन लकड़ियों को पिता के सामने लाकर रख दिया और सामने खड़े हो गए।उस किसान ने उन लकड़ियों में से एक – एक लकड़ी चारों बेटों के हाथ में दिया और उसे तोड़ने के लिए कहा। बेटों को फिर कुछ समझ में नहीं आया की पिताजी आज ऐसा क्यों करवा रहे हैं। पर जैसा की किसान ने कहा था, चारों बेटों ने लकड़ी के टुकड़े को आसानी से तोड़ दिया। इसके बाद किसान ने बाकी बचे सभी लकड़ियों को इकठ्ठा किया और उन्हें एक साथ बाँध दिया। जब लकड़ी का गट्ठर अच्छे से बंध गया तो किसान ने बारी बारी से चारों बेटों को उस लकड़ी के गट्ठर को तोड़ने के लिए कहा परन्तु उनमे से किसी से भी वो गट्ठर नहीं टूटा।
जब चारों बेटों में से किसी से भी वो गट्ठर नहीं टुटा तो चारों अपने पिता की तरफ देखने लगे। तब किसान ने उन सभी को समझाते हुए कहा कि जब मैंने तुम्हे एक-एक लकड़ी दी तो तुम सभी ने उसे आसानी से तोड़ दिया और जैसे ही मैंने सारी लकड़ियों का गट्ठर तोड़ने को कहा तो तुम सभी में से कोई नहीं तोड़ पाया।
किसान ने अपनी बात आगे बढ़ाई – एक-एक लकड़ी का मतलब तुम सब अकेले अकेले। इसी एक लकड़ी की तरह अगर तुम सभी भी अलग-अलग रहे तो आसानी से तोड़ दिए जाओगे। अर्थात तुम्हारे दुश्मन तुम्हे हरा देंगे। लेकिन वहीँ जब तुम चारों मिलकर एक गट्ठर बन जाओगे तो दुनिया की कोई भी ताकत तुम्हे हरा नहीं पाएगी।
किसान के बेटों को अपने पिता की सीख समझ में आ गई थी और वो फिर आपस में प्रेम और सदभाव से रहने लगे।
सीख– एकता में शक्ति होती है