Ekta Mein Shakti essay Hindi language
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Hey mate, here is your essay..
Explanation:
मिलजुल कर कार्य करने की शक्ती को ही संगठण या एकता कहते है। संगठण सब प्रकार की शक्तीयों का मूल है। कोई भी व्यक्ती चाहे वह कितना भी समृद्ध हो, शक्तिशाली हो अथवा बुद्धिमान हो, अकेले अपनी अवश्यक्यओ की पुरति नही कर सकता है। केवल दुसरे के सहयोग से ही अपनी अवश्यक्यओ को पुरा कर सकता है। कोई भी परिवार, समाज तथा राष्ट्र अपनी उन्नती संगठित हुए बिना नही कर सकता है। बिना संगठन के कोई भी कार्य संभव नही है। यही हम भली - भांती जानते है कि संपूर्ण सृष्टी का निर्माण भी पांच तत्वो के मेल से हुआ है।
संगठन में असिमीत शक्ती होती है। संगठीत होकर ही कोई भी समाज सुख - समृद्धी तथा सफलता को प्राप्त कर सकता है। ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सम्मूख है जो इस बात के प्रमाण है। अकेले धागे को कोई भी आसानी से तोड सकता है। परंतु अनेक धागो के मेल से बनी रस्सी द्वारा बडे - से - बडे हाथी को आसानी से बांधा जा सकता है। अकेले पानी की बुंद का कोई महत्व नही होता यदी जब ये बुंद मिलकर नदी का रूप धारण कर लेती है तो वह नदी अपनी प्रवाह के रास्ते मे आने वाले बडे - से - बडे पेडों और शिलाओ (चट्टानो) को भी बहा ले जाती है। इतिहास साक्षी है कि जो देश, जातियांं तथा कुटुंब जितने अधिक संगठीत रहे है उनका संसार में उतना ही अधिक बोलबाला रहा है।
हमारे देश भारत को आजकल अनेक शत्रू राष्ट्रीय की चुनौती का सामना करना पड रहा है। इनके अतिरिक्त कुछ आंतरिक शत्रू भी है जो हमारे देश को नष्ट करने पर तले हुए है। यदी हम इन ब्रह्मा तथा आंतरिक शत्रूओ का सामना करना चाहते है तो हमे संगठित होकर रहना होगा।