Hindi, asked by ganesh4429, 11 months ago

Elasticity of demand and how it is measured in hindi

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Answered by AditiSinha23
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1. प्रतिशत या आनुपातिक रीति (Percentage or Proportional Method)

इस रीति का प्रतिपादन प्रो. फ्लक्स (Flux) ने किया था । अतः इस रीति को फ्लक्स की रीति भी कहते हैं ।

इस रीति के अनुसार,

P1 = पूर्व कीमत,

Q1 = पूर्व माँग,

P2 = नवीन कीमत,

Q2 = नवीन माँग

(चिह्न ͠ दो संध्याओं के बीच का अन्तर निकालने के लिए प्रयुक्त होता है तथा इसमें ऋणात्मक तथा धनात्मक दोनों दशाओं में फल को धनात्मक ही माना जाता ।)

किन्तु माँग की लोच की उपर्युक्त माप त्रुटिपूर्ण है । माँग की लोच का सही मूल्यांकन करने के लिए यह आवश्यक है कि माँग और कीमत के आनुपातिक परिवर्तन को ज्ञात करने के लिए औसत (Average) की सहायता ली जाए ।

अतः फ्लक्स के संशोधित समीकरण में माँग का आनुपातिक परिवर्तन न तो आरम्भिक माँग पर निकाला जाता है और न ही परिवर्तित माँग पर, बल्कि इन दोनों मात्राओं के मध्य-बिन्दु पर निकाला जाता है । यही विधि कीमत के आनुपातिक परिवर्तन की गणना में भी अपनायी जाती है ।

2. कुल आगम अथवा व्यय रीति (Total Outlay or Expenditure Method):

कुल व्यय = कुल आगम

= वस्तु की कीमत x वस्तु की माँग

अर्थात् कुल व्यय से अभिप्राय उस कुल राशि से होता है जो वस्तु की कीमत को वस्तु की कम की गई इकाइयों के गुणा करने से प्राप्त होती है ।

इस रीति द्वारा माँग की लोच के अंश तीन प्रकार के होते हैं:

(a) इकाई के बराबर माँग लोच (Equal to Unit Elasticity):

(b) इकाई से अधिक माँग लोच (Greater than Unit Elasticity):

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