election day paragraph in hindi
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Explanation:
भारत में चुनाव पर निबंध – 2 (Essay on Election in India - 300 Words)
प्रस्तावना
किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव काफी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और क्योंकि भारत को विश्व को सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में भी जाना जाता है, इसलिए भारत में चुनावों को काफी अहम माना जाता है। आजादी के बाद से भारत में कई बार चुनाव हो चुके और इन्होंने देश के विकास को गति देने का एक महत्वपूर्ण कार्य किया। यह चुनाव प्रक्रिया ही है, जिसके कारण भारत में सुशासन, कानून व्यवस्था तथा पारदर्शिता जैसी चीजों को बढ़ावा मिला है।
भारतीय चुनावों में किये गये साहसिक संसोधन
भारत में मतदाताओं के विशाल संख्या को देखते हुए कई चरणों में चुनाव आयोजित किये जाते है। पहले के वर्षों में भारत में चुनाव साधरण तरीकों से होते रहे है लेकिन वर्ष 1999 में पहली बार कुछ राज्यों में इलेक्ट्रानिक मशीनों का प्रयोग किया गया, जोकि काफी सफल रहा तभी से चुनाव प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी तथा तेज बनाने के लिए निरंतर इनका उपयोग किया जाने लगा।
भारत में पार्षद पद से लेकर प्रधानमंत्री जैसे विभिन्न प्रकार के चुनावों का आयोजन होता है। हालांकि इनमें से जो सबसे महत्वपूर्ण चुनाव होते है वह होते है लोकसभा और विधानसभा के चुनाव क्योंकि इन दो चुनावों द्वारा केंद्र तथा राज्य में सरकार का चयन होता है। आजादी के बाद से लेकर अबतक हमारे देश में कई बार चुनाव हुए है और इसके साथ ही इसकी प्रक्रिया में कई प्रकार के संसोधन भी किये गये है। जिन्होंने चुनावी प्रक्रिया को और भी बेहतर तथा सरल बनाने का कार्य किया है।
इसमें सबसे बड़ा संसोधन वर्ष 1989 में हुआ था। जब चुनाव में मतदान करने की उम्र को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया था। इस परिवर्तन के कारण देशभर के करोड़ों युवाओं को जल्द ही मतदान करने का अवसर मिला वास्तव में भारतीय लोकतंत्र के चुनाव प्रक्रिया में किये गये सबसे साहसिक संसोधनों में से एक था।
निष्कर्ष
भारतीय लोकतंत्र में चुनाव का एक महत्वपूर्ण योगदान है, इसी वजह से भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में भी जाना जाता है। यह चुनाव प्रक्रिया है जिसने दिन-प्रतिदिन भारत में लोकतंत्र के नींव को और भी मजबूत किया है। यहीं कारण है कि भारतीय लोकतंत्र में चुनाव इतना महत्वपूर्ण स्थान रखते है।
चुनाव और लोकतंत्र पर निबंध – 3 (Essay on Election and Democracy - 400 Words)
प्रस्तावना
चुनाव के बिना लोकतंत्र की परिकल्पना भी नही की जा सकती है, एक तरह से लोकतंत्र और चुनाव को एक-दूसरे का पूरक माना जा सकता है। चुनावों में अपने मतदान की शक्ति का प्रयोग करके एक नागरिक कई बड़े परिवर्तन ला सकता है और इसी के कारण लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को उन्नति का समान अवसर प्राप्त होता है।
लोकतंत्र में चुनाव की भूमिका
लोकतंत्र में चुनाव की एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि इसके बिना एक स्वस्थ और स्वच्छ लोकतंत्र का निर्माण संभव नही है क्योंकि नियमित अंतराल पर होने वाले निष्पक्ष चुनाव ही लोकतंत्र को और भी मजबूत बनाने का कार्य करते है। भारत के एक लोकतांत्रिक देश होने के कारण यहां की जनता अपने सांसदों, विधायकों तथा न्यायपालिकाओं का चुनाव कर सकती है। भारत का वह प्रत्येत नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है वह अपने मतदान की शक्ति का प्रयोग कर सकता है और लोकतंत्र का पर्व माने जाने वाले चुनावों में अपने पसंद के उम्मीदवार को अपना मत दे सकता है।
वास्तव में चुनाव के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नही की जा सकती है और यह लोकतंत्र की शक्ति ही है, जो देश के हर नागरिक को अपने अभिव्यक्ति के आजादी की स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह हमें एक विकल्प देता है कि हम योग्य व्यक्ति को चुन सके और उन्हें सही पदों पर पहुंचाकर देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे सके।
चुनाव की आवश्यकता
कई बार कई लोगों द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर चुनाव की आवश्यता क्या है, यदि चुनाव ना भी हो तो भी देश में शासन चलाया जा सकता है। लेकिन इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जहां भी शासक, नेता या फिर उत्तराधिकारी चुनने में भेदभाव तथा जोर-जबरदस्ती हुई है। वह देश या स्थान कभी विकसित नही हुआ और उसका विघटन अवश्य हुआ है। यहीं कारण था कि राजशाही व्यवस्थाओं में भी राजपद के लिए राजा के सबसे योग्य पुत्र का ही चुनाव किया जाता था।
इसका हमें सबसे अच्छा उदहारण महाभारत में मिलता है, जहां भरतवंश के राजसिंहासन पर बैठने वाले व्यक्ति का चुनाव ज्येष्ठता (उम्र में बड़ा होना) के आधार पर ना होकर श्रेष्ठता के आधार पर होता था लेकिन अपनी भीष्म ने सत्यवती के पिता को वचन देते हुए इस बात की प्रतिज्ञा ली की वह कुरुवंश के राजगद्दी पर कभी नही बैठेंगे और सत्यवती का ज्येष्ठ पुत्र ही हस्तिनापुर के सिहांसन का वारिस होगा। इस गलती का परिणाम तो सब ही जानते हैं कि इस एक प्रतिज्ञा के कारण कुरुवंश का नाश हो गया।
वास्तव में चुनाव हमें विकल्प देते है कि हम किसी चीज में बेहतर विकल्प को चुन सके। यदि चुनाव ना हों तो समाज में निरंकुशता और तानाशाही का बोलबाला हो जायेगा। जिसके परिणाम सदैव ही विध्वंसक रहे है। जिन देशों में लोगों को अपने नेताओं को चुनने की आजादी होती है, वह सदैव ही प्रगति करते है। यहीं कारण है कि चुनाव इतने महत्वपूर्ण और आवश्यक है।
निष्कर्ष
चुनाव और लोकतंत्र एक दूसरे के पूरक है, एक बिना दूसरे की कल्पना भी नही कि जा सकती है। वास्तव में लोकतंत्र के विकास के लिए चुनाव बहुत ही आवश्यक हैं। यदि एक लोकतांत्रिक देश में निश्चित अंतराल पर चुनाव ना कराये जायें तो वहां निरंकुशता और तानाशाही का बोलबाला हो जायेगा। इसलिए एक लोकतांत्रिक देश में निश्चित अंतराल पर चुनावों का होना काफी आवश्यक है।
चुनाव का महत्व पर निबंध – 4 (Essay on Importance of Election - 500 Words)
प्रस्तावना
लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें लोगों को स्वतंत्रता और मानवाधिकारों