elephant and tailor story in hindi
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एक छोटे से शहर में एक बड़ा सा मन्दिर था, उस मन्दिर में एक हाथी था। हाथी और उसका मालिक मंदिर के पास ही रहते थे । मालिक अपने हाथी का बहुत अचेसे ख्याल रखता था ।
एक दिन मालिक हाथी को शहर ले गया । वो हाथी को पूरा शहर घुमाता और पैसे कमाता । हाथी और मालिक हर एक दुकान पर जाते और दुकानदार उसे पैसे देता और हाथी बदले में उन्हें आशीर्वाद।
वो हर एक दुकान पर जाते थे। यह इनकी रोज मरहा की जिंदगी थी। शहर के रास्ते मे एक दर्ज़ी था, जिसकी एक दुकान थी। हमेशा की तरह एक दिन हाथी पैसे मांगते हुए वाहा आया। दर्ज़ी ने कहा को रोज इनको पैसे देने पड़ते हैं , आज इन पर एक तरकीब आजमाता हूँ।
हाथी जब पैसे मांगने आया तो दर्ज़ी न ऐसा नाटक किआ जैसी की उसने उसकी सूंड में पैसे रखे है। लेकिन उसने उसको सुई चबोई और हाथी दर्द से रोने लगा। इसके बाद हाथी वआ से चलागया और उसने सोचा की दर्ज़ी को सबक सिखाना पड़ेगा। अगले दिन हाथी और मालिक दोनों निकल गए ।
मालिक ने उससे कहा कि यह तालाब का रास्ता नही है । हाथी न उसकी बात को अंशुना करदिया। वो कीचड़ की तरफ गया और उसने सारा कीचड़ अपनी सूंड में भर लिया। हाथी उस दर्ज़ी की दुकान की तरफ बड़ा और मालिक भी उसके पीछे पीछे चल दिया।
हाथी दर्ज़ी के पास गया , इससे पहले वो कुछ समझ पता हाथी ने सारा कीचड़ उसके ऊपर दाल दिया। दर्ज़ी कीचड से नाहा गया । मालिक ने समज लिए था कि दर्ज़ी ने हाथी के साथ कुछ बादमासशी करी होगी । दर्ज़ी को उसके किआ का सबक मिल गया था।
एक दिन मालिक हाथी को शहर ले गया । वो हाथी को पूरा शहर घुमाता और पैसे कमाता । हाथी और मालिक हर एक दुकान पर जाते और दुकानदार उसे पैसे देता और हाथी बदले में उन्हें आशीर्वाद।
वो हर एक दुकान पर जाते थे। यह इनकी रोज मरहा की जिंदगी थी। शहर के रास्ते मे एक दर्ज़ी था, जिसकी एक दुकान थी। हमेशा की तरह एक दिन हाथी पैसे मांगते हुए वाहा आया। दर्ज़ी ने कहा को रोज इनको पैसे देने पड़ते हैं , आज इन पर एक तरकीब आजमाता हूँ।
हाथी जब पैसे मांगने आया तो दर्ज़ी न ऐसा नाटक किआ जैसी की उसने उसकी सूंड में पैसे रखे है। लेकिन उसने उसको सुई चबोई और हाथी दर्द से रोने लगा। इसके बाद हाथी वआ से चलागया और उसने सोचा की दर्ज़ी को सबक सिखाना पड़ेगा। अगले दिन हाथी और मालिक दोनों निकल गए ।
मालिक ने उससे कहा कि यह तालाब का रास्ता नही है । हाथी न उसकी बात को अंशुना करदिया। वो कीचड़ की तरफ गया और उसने सारा कीचड़ अपनी सूंड में भर लिया। हाथी उस दर्ज़ी की दुकान की तरफ बड़ा और मालिक भी उसके पीछे पीछे चल दिया।
हाथी दर्ज़ी के पास गया , इससे पहले वो कुछ समझ पता हाथी ने सारा कीचड़ उसके ऊपर दाल दिया। दर्ज़ी कीचड से नाहा गया । मालिक ने समज लिए था कि दर्ज़ी ने हाथी के साथ कुछ बादमासशी करी होगी । दर्ज़ी को उसके किआ का सबक मिल गया था।
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