Hindi, asked by Adityapandey1468, 5 months ago

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1) निबंध लेखन ऋ फेस 2 परिचय - [प्रकृति चाचू - पुलवी का सूप - भूमि जल मानव कुश्ती शहरीकरण नंगलटेंग - पर्वतारोहण - बरसात का रास्ता - पृथ्वी पर संजीव सुस्ती -​

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Answered by sksinghveerrajput809
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Answer:

धरती पर जीवन जीने के लिये भगवान से हमें बहुमूल्य और कीमती उपहार के रुप में प्रकृति मिली है। दैनिक जीवन के लिये उपलब्ध सभी संसाधनों के द्वारा प्रकृति हमारे जीवन को आसान बना देती है। एक माँ की तरह हमारा लालन-पालन, मदद, और ध्यान देने के लिये हमें अपने प्रकृति का धन्यवाद करना चाहिये।

अगर हम सुबह के समय शांति से बगीचे में बैठे तो हम प्रकृति की मीठी आवाज और खूबसूरती का आनन्द ले सकते है। हमारी कुदरत ढ़ेर सारी प्राकृतिक सुंदरता से सुशोभित है जिसका हम किसी भी समय रस ले सकते है। पृथ्वी के पास भौगोलिक सुंदरता है और इसे स्वर्ग या शहरों का बगीचा भी कहा जाता है। लेकिन ये दुख की बात है कि भगवान के द्वारा इंसानों को दिये गये इस सुंदर उपहार में बढ़ती तकनीकी उन्नति और मानव जाति के अज्ञानता की वजह से लगातार ह्रास हो रहा है।

प्रकृति

प्रकृति हमारी वास्तविक माँ की तरह की होती है जो हमें कभी नुकसान नहीं पहुँचाती बल्कि हमारा पालन-पोषण करती है। सुबह जल्दी प्रकृति के गोद में ठहलने से हम स्वस्थ और मजबूत बनते है साथ ही ये हमें कई सारी घातक बीमारीयों जैसे डायबिटिज, स्थायी हृदय घात, उच्च रक्त चाप, लीवर संबंधी परेशानी, पाचन संबंधी समस्या, संक्रमण, दिमागी समस्याओं आदि से भी दूर रखता है।

ये हमारे स्वास्थ्य के लिये अच्छा है कि हम चिड़ियों की मधुर आवाज, मंद हवा की खनखनाहट, ताजी हवा की सनसाहट, बहती नदी की आवाज आदि सुबह - सुबह सुनें। ज्यादातर कवि, लेखक और लोगों को अपने दिमाग, शरीर, और आत्मा को दुबारा से ऊर्जायुक्त बनाने के लिये उद्यानों में योगा और ध्यान करते देखा जा सकता है।

निबंध 2 (300) शब्द

प्रकृति सभी के जीवन का महत्वपूर्ण और अविभाज्य अंग है। खूबसूरत प्रकृति के रुप में भगवान के सच्चे प्यार से हम सभी धन्य है। कुदरत के सुख को कभी गँवाना नहीं चाहिये। कई प्रसिद्ध कवियों, लेखक, पेंटर, और कलाकार के कार्य का सबसे पसंदीदा विषय प्रकृति होती है। प्रकृति भगवान की बनायी सबसे अद्भुत कलाकृति है जो उसने बहुमूल्य उपहार के रुप में प्रदान की है। प्रकृति सब कुछ है जो हमारे आसपास है जैसे पानी, हवा, भूमि, पेड़, जंगल, पहाड़, नदी, सूरज, चाँद, आकाश, समुद्र आदि। कुदरत अनगिनत रंगों से भरी हुई है जिसने अपनी गोद में सजीव-निर्जीव सभी को समाहित किया है।

भगवान के द्वारा प्रकृति में सभी को अपनी शक्ति और विशिष्टता उपलब्ध करायी गई है। इसमें इसके कई रुप है जो मौसम दर मौसम और यहाँ तक कि मिनट दर मिनट बदलते रहते है जैसे समुद्र सुबह के समय चमकीला नीला दिखाई देता है लेकिन दोपहर के समय हरित मणी रंग सा दिखाई पड़ता है। आकाश पूरे दिन अपना रंग बदलता रहता है सूर्योदय में पीला गुलाबी, दिन के समय आँखे चौंधियाने वाला नीला रंग, चमकदार नारंगी सूर्यास्त के समय और रात के समय बैंगनी रंग का। हमारा स्वाभाव भी प्रकृति के अनुसार बदलता है जैसे खुश और आशावादी सूरज के चमकने के समय, बरसात के समय और वसंत के समय। हम चाँदनी रोशनी में दिल से खुशी महसूस करते है, तेज धूप में हम ऊबा हुआ और थका महसूस करते है।

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