एनी बेसेंट भरत केकड़ी केकड़ी
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डॉ एनी बेसेन्ट (१ अक्टूबर १८४७ - २० सितम्बर १९३३) अग्रणी आध्यात्मिक, थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारों की समर्थक, लेखक, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। सन १९१७ में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा भी बनीं। एनी बेसेंट से प्रेरणा पाकर भारत के कई समाज सेवकों को बल मिला।
Explanation:
जीवनी
डॉ॰ एनी बेसेन्ट (Dr. Annie Wood Besant) का जन्म लन्दन शहर में १८४७ में हुआ। इनके पिता अंग्रेज थे। पिता पेशे से डाक्टर थे। पिता की डाक्टरी पेशे से अलग गणित एवं दर्शन में गहरी रूचि थी। इनकी माता एक आदर्श आयरिस महिला थीं। डॉ॰ बेसेन्ट के ऊपर इनके माता पिता के धार्मिक विचारों का गहरा प्रभाव था। अपने पिता की मृत्यु के समय डॉ॰ बेसेन्ट मात्र पाँच वर्ष की थी। पिता की मृत्यु के बाद धनाभाव के कारण इनकी माता इन्हें हैरो ले गई। वहाँ मिस मेरियट के संरक्षण में इन्होंने शिक्षा प्राप्त की। मिस मेरियट इन्हें अल्पायु में ही फ्रांस तथा जर्मनी ले गई तथा उन देशों की भाषा सीखीं। १७ वर्ष की आयु में अपनी माँ के पास वापस आ गईं।
युवावस्था में इनका परिचय रेवरेण्ड फ्रैंक नामक एक युवा पादरी से हुआ और १८६७ में उसी से एनी बुड का विवाह भी हो गया। पति के विचारों से असमानता के कारण दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रहा। संकुचित विचारों वाला पति असाधारण व्यक्तित्व सम्पन्न स्वतंत्र विचारों वाली आत्मविश्वासी महिला को साथ नहीं रख सके। १८७० तक वे दो बच्चों की माँ बन चुकी थीं। ईश्वर, बाइबिल और ईसाई धर्म पर से उनकी आस्था डिग गई। पादरी-पति और पत्नी का परस्पर निर्वाह कठिन हो गया और अन्ततोगत्वा १८७४ में सम्बन्ध-विच्छेद हो गया। तलाक के पश्चात् एनी बेसेन्ट को गम्भीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा और उन्हें स्वतंत्र विचार सम्बन्धी लेख लिखकर धनोपार्जन करना पड़ा।
डॉ॰ बेसेन्ट इसी समय चार्ल्स व्रेडला के सम्पर्क में आईं। अब वह सन्देहवादी के स्थान पर ईश्वरवादी हो गईं। कानून की सहायता से उनके पति दोनों बच्चों को प्राप्त करने में सफल हो गये। इस घटना से उन्हें हार्दिक कष्ट हुआ।