england ki Sarkar Ne Mukt Vyapar ke Niti card apnai
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सन् 1930 में अमेरिका ने स्मूट-हॉली टैरिफ कानून के माध्यम से घरेलू व्यवसाय को संरक्षण देने के लिए विदेशी सामानों पर काफी कर लगा दिया था, जिसके कारण दूसरे देशों ने भी अमेरिकी माल के आयात पर काफी कर लगा दिया था। इसके परिणास्वरूप 1929 से 1932 के बीच अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 70 फीसदी की गिरावट आई थी। अर्थशास्त्री मार्टिन वुल्फ कहते हैं कि व्यापार में आई इस गिरावट के कारण जर्मनी और जापान जैसे कुछ देषों में आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था (Autarky and Lebensraum) की ओर बढ़ने जैसी एक बुरी प्रवृत्ति का विकास हुआ।
इसके तुरंत बाद दुनिया को तब-तक के इतिहास का सबसे खौफनाक युध्द देखने को मिला।
व्यापार युध्द की संभावना को कम करता है और जन-जीवन की रक्षा करता है।
समृध्दि बढ़ाकर और इसे अधिक-से-अधिक लोगों तक ले जाकर भी व्यापार जन-जीवन की रक्षा करता है। इस बात के काफी प्रमाण हैं कि मुक्त व्यापार से समृध्दि को बढ़ावा मिलता है। समृध्दि आम लोगों को स्वस्थ्य और लंबा जीवन जीने में सक्षम बनाती है।
इससे लोगों को अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का हिस्सा होने के कारण मुक्त व्यापार से मिले व्यापक सांस्कृतिक अनुभवों का रसास्वादन करने का भी अधिक मौका मिलता है। मुक्त व्यापार के कारण वस्तु एवं विचार के क्षेत्र में दुनिया भर से रिश्ता बनने के कारण संस्कृति समृध्द होती है।
इस बात में शक की कोई गुंजाइश नहीं है कि मुक्त व्यापार भौतिक समृध्दि बढ़ाती है। लेकिन इसका जो सबसे बड़ा फायदा है, उसे पैसों से नहीं तौला जा सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ है युध्द से बेखौफ और आजाद जन-जीवन।
इन बातों के मद्देनजर इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले हम लोग एकजुट होकर सभी देशों की सरकारों से अपील करते हैं कि वे व्यापार के सामने बाधा खड़ी करने वाले संकीर्ण स्वार्थ रखने वालों की मांगों को मानने से इनकार कर दें। इसके साथ ही हम सरकार से यह भी अपील करते हैं कि वे मुक्त व्यापार के सामने खड़ी मौजूदा संरक्षणवादी बाधाओं को भी फाड़कर फेंक दें। हर देश की सरकार से हमारा कहना है कि : अपने नागरिकों को सिर्फ अपने देश की ही नहीं बल्कि दुनिया भर के खेतों, फैक्टरियों और प्रतिभाओं के फल चखने का मौका दें। इसका परिणाम अधिक समृध्द, बेहतर और सुख-शांति भरा जीवन के रूप में देखने का मिलेगा।