एसी और फ्रिज किस के स्रोत हैं
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1990 वाले दशक के दौरान, हम सीएफसी (या क्लोरोफ्लोरोकार्बन) और ओजोन परत की नि:शेषीकरण (डेपेलेशन) में उसकी भागीदारी के बारें में, बहुत कुछ सुनते थे| उस वक़्त ऐसी भी काफी चर्चा होती थी कि सभी पर्यावरण को नुकसान पहुचाने वाले रेफ्रिजरेंट्स, को चरणबद्ध तरीके से कैसे बाहर किया जाए| इसलिए, इतने वर्षो बाद यह जिज्ञासा स्वतः उठना बड़ा ही स्वाभाविक है कि, रेफ्रीजिरेटर और एयर कंडीशनर, जो आजकल ख़रीदे जा रहे हैं, उनमे पर्यावरण अनुकूलित रेफ्रिजरेंट्स हैं या नहीं| हालांकि, शोध करने से पहले, हमारे मन में यह प्रकल्पना तो थी कि शायद अब तक पर्यावरण को नुकसान करने वाले रेफ्रिजरेंट्स चरणबद्ध तरीके से बाहर कर दिए गयें होंगे| लेकिन क्या हमारा यह अनुमान सही है? या हम अब वास्तव में इसकी परवाह करते भी हैं या नहीं? यह जानने के लिए हमने यह निश्चित किया की हम इस लेख के द्वारा भारतीय बाजार में उपलब्ध विभिन्न एयर कंडीशनर और फ्रिज में उपयोग किये जाने वाले रेफ्रिजरेंट्स पर शोध करेंगे|
पुराने और आधुनिक रेफ्रिजरेंट्स
अतीत में सीएफसी रेफ्रिजरेंट्स, सबसे आम और मश्हूर रेफ्रिजरेंट्स थे| इनको ‘फ्रीऑन’ भी कहा जाता था| फ्रीऑन ड्यूपॉन्ट नामक कंपनी द्वारा उत्पादित “R-12” रेफ्रिजरेंट्स का ब्रांड नाम था| 1990 और 2000 के दशक में, उपयोग में सीएफसी को एचसीफसी (हाइड्रो-क्लोरो-फ्लुओरोकार्बोन) के साथ परिवर्तित कर दिया गया हैं, जिसमे “R-22” सबसे आम एचसीफसी होता हैं| एचसीफसी, आज भी बाजार में उपलब्ध अधिकांश एयर कंडीशनरों में बहुतायत में इस्तेमाल किया जाता है|
लेकिन एचसीफसी, सीएफसी की तुलना में मात्र मामूली रूप से ही बेहतर होते हैं| एचसीफसी भी पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं| क्यूंकि वे भी क्लोरीन युक्त होते हैं, और क्लोरीन पर्यावरण के लिए हानिकारक होती हैं, हालांकि क्लोरीन की मात्रा सीएफसी की तुलना में कम होती हैं| रेफ्रिजरेंट्स में से क्लोरीन का प्रभाव कम करने के लिए निर्माताओं ने एक और रेफ्रिजरेंट्स इज़ात किया हैं, जिसे हम एचएफसी (या हाइड्रो-फ्लूरो-कार्बन) कहते हैं| हालांकि, उनमे भी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता होती है, परन्तु वे एचसीफसी से बेहतर माने जाते हैं| एयर कंडीशनरों में इस्तेमाल किया जाने वाला, सबसे आम एचएफसी हैं, R-401A| यह रेफ्रिजरेंट्स R-22 की तुलना में ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए मात्र बेहतर ही नहीं, बल्कि अधिक ऊर्जा कुशल भी होते है| अधिक ऊर्जा कुशल एयर कंडीशनर R-401A रेफ्रिजरेंट्स का ही इस्तेमाल करते हैं| जैसे ही भारत में ऊर्जा दक्षता के मानकों में सुधार होगा, हम देखेंगे की अधिक एयर कंडीशनर R-401A रेफ्रिजरेंट्स का ही उपयोग करेंगे|
एक और रेफ्रिजरेंट्स जो सामान्यतः रेफ्रिजरेटर में प्रयोग किया जाता है, वह हैं R-134A| इसके अलावा, एक और रेफ्रिजरेंट्स जिसको भारत में निर्माताओं द्वारा बनाने व उपयोग करने की कोशिश की जा रही है, वह हैं “R-290”, जो की एक हाइड्रोकार्बन “प्रोपेन” आधारित होता है| यह पूरी तरह से हैलोजन मुक्त और ओजोन रिक्तीकरण क्षमता विहीन होता है| इस रेफ्रिजरेंट्स का उपयोग करने वाले कुछ ब्रांड्स इसे 7 स्टार मॉडल के रूप में प्रचारित भी कर रहे हैं (हालांकि, इसका मतलब यह नहीं हैं, की बीईई 7 स्टार रेटिंग प्रस्तुत करता हो, वास्तव में बीईई 7 स्टार रेटिंग देती ही नहीं हैं)| इनमे निश्चित रूप से उच्च ऊर्जा दक्षता क्षमता होती हैं, लेकिन यह अत्यधिक ज्वलनशील भी होते है| इसलिए, इस रेफ्रिजरेंट्स का उपयोग अत्यंत सुरक्षित माहौल में ही होना चाहिए| परन्तु, इस रेफ्रिजरेंट्स का उपयोग करने वाले एयर कंडीशनर की लागत नियमित एयर कंडीशनरो से अधिक होती हैं|
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