Hindi, asked by khushiG14, 6 months ago

एस्से ऑन व्यायाम का महत्वइन 50 वर्ड्स ​

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Answered by ksapem
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Answer:

इस दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति हर समय किसी न किसी रोग से घिरा ही हुआ है। उन रोगों से बचने के लिए हर कोई व्यक्ति डॉक्टर या चिकित्सक के पास जाता है। परंतु उनमें से सभी डॉक्टर और चिकित्सक उस रोग या बीमारी को तो ठीक कर देते हैं परंतु स्वास्थ्य को कोई भी सही नहीं करता। अपने स्वास्थ्य को अच्छे से रखना का एक ही रास्ता है और वह है व्यायाम। जो लोग व्यायाम और योग करते हैं वह लोग कभी भी आसानी से बीमार नहीं पड़ते हैं। रोग मात्र दुर्बल शरीर पर आक्रमण करता है और व्यायाम करने वाला व्यक्ति हमेशा तंदुरुस्त और शक्तिशाली रहता है। इसीलिए बीमारी या रोग से बचने का एकमात्र समाधान है व्यायाम।

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Answered by pmagrumkhane
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Explanation:

वयायाम का अर्थ है – शरीर को इस तरह तानना सिकोड़ना कि वह सही स्थिति में कार्य कर सके । जिस प्रकार अच्छे भोजन से शरीर को पोषण मिलता है, उसी प्रकार से व्यायाम से शरीर लंबे समय तक उचित दशा में बना रहता है । व्यायाम से शरीर को सुगठित, तंदुरुस्त और फुर्तीला बनाया जा सकता है ।

आजकल अधिकतर काम मशीनों की सहायता से होते हैं । मशीनें आदमी को एक ही दशा में कार्य करते रहने के लिए विवश कर देती हैं । लोग बद कक्षों में बैठे या खड़े रहते हैं । यह अस्वास्थ्यप्रद स्थिति मानसिक तनाव और शारीरिक बीमारियों को जन्म देती है । परंतु प्रतिदिन व्यायाम किया जाए तो इस स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है । हर दिन एक घंटे के व्यायाम से आदमी भिन्न-भिन्न प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों से दूर रह सकता है । इतना ही नहीं, वह मानसिक चिंता से मुक्त होकर, शारीरिक शक्ति एवं स्कूर्ति से युक्त होकर अपने दैनिक कार्यों को भली-भांति संचालित कर सकता है ।

व्यायाम से मानसिक तनाव और थकान मिटती है । शरीर का रक्त शुद्ध हो जाता है तथा पूरे शरीर में ताजगी आती है । व्यायाम यदि खुले स्थान में या किसी पार्क में किया जाए तो अधिक लाभ मिलता है । फेफड़ों को शुद्ध वायु पर्याप्त मात्रा में मिलती है । पेशियों और अस्थियों को ताकत मिलती है । शरीर का दर्द और ऐंठन मिट जाती है । ज्ञानेन्द्रियों में सजगता आती है । संपूर्ण शरीर प्राकृतिक दशा में कार्य करने लगता है । शारीरिक दुर्बलता और सुस्ती समाप्त हो जाती है । इस तरह व्यायाम के प्रभाव से शरीर में नवजीवन का संचार होता है । बूढ़े और बीमार लोग भी अपने भीतर स्कूर्ति का अनुभव करने लगते हैं ।

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