Essay (80-100) words. मेरे जीवन का लक्ष्य :
लक्ष्य
लक्ष्य पूर्ण जीवन के लाभ
लक्ष्य पर्ति का प्रयास
लक्ष्य निर्धारण के कारण
Answers
Answer:
लक्ष्य पर्ति का प्रयास
Explanation:
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जीवन का लक्ष्य तय करना प्रत्येक मानव का कर्तव्य है. कल्पना का जगत सबसे अधिक रमणीय तथा मधुर है. मेरे जीवन का एक सपना है जिसे मैं येन-केन प्रकारेण साकार और सार्थक करना चाहता हूं.
*लक्ष्य पूर्ण जीवन के लाभ*
जब से मेरे मन में अध्यापक बनने का सपना जगा हैं, तब से मेरे जीवन में अनेक परिवर्तन आ गए हैं. मैं पढ़ाई की और अधिक ध्यान देने लगा हूं ताकि अपने लक्ष्य को सुगमता से प्राप्त कर सकूं. उद्देश्य सहित पढ़ने में अत्यंत आनंद है. टाइल्स ने सत्य ही कहा था- “ अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ और उसके बाद अपने शारीरिक और मानसिक बल, जो ईश्वर ने तुम्हें दिया है, उसमें लगा दो”. अथर्ववेद से भी यही प्रेरणा मिलती है- “उन्नत होना और आगे बढ़ना प्रत्येक जीवन का लक्ष्य है”.
*लक्ष्य पूर्ति का प्रयास*
मैंने अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने आरम्भ कर दिए हैं. अअध्ययन के प्रति मैं और अधिक गंभीर हो गया हूँ. जब तक मेरे लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती तब तक मै जीवन में आराम नहीं करूँगा. अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयास करता रहूँगा.
*लक्ष्य निर्धारण के कारण*
मेरा लक्ष्य है आदर्श अध्यापक बनना. मैंने परमार्थ साधना को भी अपने जीवन का उद्देश्य बनाया है तथा उसी के अनुसार व्यवसाय का चयन किया है. अध्यापन व्यवसाय ही ऐसा व्यवसाय है जो मानव को परमार्थ साधना के पथ का पथिक बना सके. अध्यापक का जीवन अत्यंत सात्विक होता है. वह तो विलास से दूर रहता है. आदर्श जीवन जीता है. वह सादा जीवन उच्च विचार के जीवन दर्शन में विश्वास रखता है. वह संतोषी प्रकृति का होता है उसकी आवश्यकताएं बहुत कम होती है. सात्विकता के कारण ही हमारे ऋषि-मुनियों ने अध्यापन कार्य का चयन किया था. गुरुकुल की स्थापना की थी. जहां राजा से लेकर अंत तक के बच्चे बिना भेदभाव के शिक्षा प्राप्त करते थे. सांदीपनि आश्रम में श्री कृष्ण जी से उच्च स्तर के तथा सुदामा जी से निम्न स्तर के बालकों ने साथ साथ शिक्षा प्राप्त की. धौम्य, वशिष्ठ, वाल्मीकि आदि ऐसे ही मुनि थे.
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