essay about camel in hindi
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ऊँट एक डौमेडरी जानवर है । यह विदेश से आया है । ईसवीं पूर्व चौथी शती से ग्रीक आक्रमणकारियों के साथ खैबर दर्रे से होकर भारत आया था । आज वह भारत के रेगिस्तान में सर्वाधिक पाया जाता है । इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहते हैं ।
ऊँट की चार टांगे, दो आखें, एक पूंछ, पीठ पर कूबड़ और दो लटके हुए होठ होते हैं । रेगिस्तान में जब रेतीली हवाएं चलती हैं तब वह अपने नथुनों को बन्द कर लेता है जिससे रेत उसकी नाक में नहीं जा पाती । ऊँट के घुटने और गरदन में कठोरता होती है जो उसे उठते-बैठते समय रगड़ से बचाती है ।
ऊँट एक दिन में 36 लिटर पानी पीता है । यदि उसे खाने के लिए ताजे पत्ते मिल जाएं तो पानी की मात्रा 4 लीटर कम हो जाती है । ऊँट के पेट में एक बहुत बड़ी थैली होती है । जिसमें वह काफी पानी और भोजन इकट्ठा कर लेता है ।
इसलिए वह बहुत दिनों तक बिना पानी और भोजन के रह लेता है । सर्दियों में यदि यह ताजी पत्तियाँ ही खाएं तो उसे पानी की कम आवश्यकता रहती है । इसलिए यह जहाज रेगिस्तान के लिए सर्वाधिक उपयुक्त वाहन है । यह खाने की किसी भी चीज को कुतर-कुतर कर खाता है । ऊंट के कुल 34 दांत होते हैं ।
तुर्की में 1967 में ऊंटों की लड़ाई होती थी । जिसका दर्शक आनन्द उठाते थे । लेकिन वहां की सरकार ने अब इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया । ऊंटनी का दूध बहुत पौष्टिक होता है । खानाबदोश लोग आज भी ऊंटनी का दूध पीते हैं । ऊंटनी का दूध सफेद, स्वादिष्ट मीठा और क्रीम के स्वाद जैसा होता है । इसके दूध की दही नहीं जमती ।
ऊँट के शरीर के बालों को भी काटा जाता है । पंजाब में ऊँट के बाल को उतार कर उसके ऊपर सरसों के की मालिश की जाती है और कीचडू लगा दिया जाता है । जब कीचड़ सूख जाता है तब ऊँट को नहलाया जाता है । माना जाता है कि कीचड़ लगाने से ऊँट के बाल कोमल आते हैं । खाल स्वस्थ और नरम हो जाती है । ऊँट के बच्चों के बाल बरसात में काटे जाते हैं ।
ऊँट के बालों को वस्त्र उद्योग प्रयोग में लाता है । उसके बालों से ओवर कोट, रस्सी, ऊन, थैली आदि बनाए जाते हैं । ऊँट बोझा ढोने में, सवारी और खेती करने के काम में भी आता है । युद्ध के मैदानों में भी इसका उपयोग किया जाता है ।
ऊंट एक बड़े आकार का पशु है ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है क्योंकि यह पानी में तैरने वाले जहाज की तरह ही रेगिस्तान में 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है. ऊंट की टांगे लंबी होती है जब की पूंछ छोटी होती है.
ऊंट की चमड़ी बहुत मोटी होती है जिसके कारण रेगिस्तान में इसको पसीना कम आता है और प्यास कम लगती है ऊंट रेगिस्तान में बिना पानी के लगभग 1 महीने तक जिंदा रह सकता है क्योंकि पानी को जमा करने के लिए इसके पेट में एक बड़ी थैली बनी होती है जिसमें है एक बार में 20 से 30 लीटर पानी जमा करके रख सकता है.
तेज धूप में भी इसका शरीर ठंडा रहता है क्योंकि इसके शरीर में पानी की मात्रा बहुत अधिक रहती है.
और जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल कर सकता है. ऊंट की गर्दन लंबी और चौड़ी होती है जिसके कारण यह है ऊंची झाड़ियों की हरी पत्तियां खा सकता है जिनसे इसे पोष्टिक आहार मिलता है.
ऊंट का मुंह है इसके शरीर के मुकाबले छोटा होता है इसके बड़े बड़े 34 दांत होते है जो कि किसी भी झाड़ियों और पत्तियों को आटे की तरह पीस देता है. इसकी लंबाई लगभग 9 से 10 फुट होती है