essay based on mudo prakriti ki aur
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प्रकृति जो हमारे लिए हमारी जीवन दायिनी है और हमारी मां की तरह हमारी रक्षा करती है। आज उसी प्रकृति को हम नष्ट कर रहे हैं। हम पेड़ लगाने की बजाय पेड़ को काट रहे हैं।
हम भूल जाते हैं कि प्रकृति के वजह से ही हम जीवित है और हम अपनी मृत्यु को खुद दावत देते हैं पेड़- पौधों को काटकर।
हमें रहने की जगह नहीं हम तालाब को भरकर उसके ऊपर घर बनाते हैं। जंगलों को साफ कर रिसार्ट बनवाते हैं।
हम प्रकृति को केवल नष्ट कर रहे हैं और उसके अहसान में डूब रहे हैं।
ऐसा अगर ज्यादा दिन तक चला तो एक दिन खत्म हो जाएंगे। इसलिए हम सबको अपनी मां प्रकृति की देखरेख करनी होगी ।उसे नष्ट होने से बचाना होगा।
हम भूल जाते हैं कि प्रकृति के वजह से ही हम जीवित है और हम अपनी मृत्यु को खुद दावत देते हैं पेड़- पौधों को काटकर।
हमें रहने की जगह नहीं हम तालाब को भरकर उसके ऊपर घर बनाते हैं। जंगलों को साफ कर रिसार्ट बनवाते हैं।
हम प्रकृति को केवल नष्ट कर रहे हैं और उसके अहसान में डूब रहे हैं।
ऐसा अगर ज्यादा दिन तक चला तो एक दिन खत्म हो जाएंगे। इसलिए हम सबको अपनी मां प्रकृति की देखरेख करनी होगी ।उसे नष्ट होने से बचाना होगा।
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