Essay from cinema profit or loss in hindi
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चलचित्र के लाभ और हानियाँ पर निबंध |
चलचित्र मनुष्य की एक अद्भुत उपलब्धि है । चलचित्र के आविष्कार ने मानव जीवन में क्रांति ला दी है । यह मानव समाज के विभिन्न पहलुओं का सजीव चित्रांकन है जिसे देखकर मनुष्य सुख का अनुभव करता है ।
इस प्रकार यह मनुष्य के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है । चलचित्र या सिनेमा, साहित्य और कला का अद्भुत संगम है । सिनेमा भावों की अभिव्यक्ति का एक सशक्त साधन है । सिनेमा का वर्तमान में प्रचार-प्रसार अत्यधिक बढ़ा है ।
इतना प्रचार-प्रसार शायद ही किसी अन्य वैज्ञानिक आविष्कार का हुआ हो जितनी लोकप्रियता सिनेमा को प्राप्त हुई । स्त्री-पुरुष, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित, हिंदू-मुस्लिम आदि लगभग सभी वर्गों पर सिनेमा का प्रभाव पड़ा है । सभी वर्गों के लोग चलचित्र अथवा सिनेमा की लय में झूमते-गाते दिखाई देते हैं ।
दैनिक, मासिक व साप्ताहिक आदि सभी समाचार-पत्र सिनेमा जगत् की खबरों को प्राथमिकता देते हैं । इसके अतिरिक्त सिनेमा संबंधी अनेक पत्रिकाएँ जिनमें सिनेमा अथवा चलचित्र से संबंधित रोचक तथ्य होते हैं उनसे बाजार भरे पड़े हैं ।
चलचित्र की लोकप्रियता का प्रमुख कारण उसकी संवाद सहित सचल फोटोग्राफी है जो कथानक में इतनी अधिक सजीवता ला देती है कि उनमें मानव के वास्तविक जगत की झलक प्रतिबिंबित होने लगती है । कथानक के साथ सुंदर व मधुर गीतों का समावेश उसकी रोचकता में चार चाँद लगा देते हैं ।
चलचित्र मनुष्य के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है । चलचित्र में प्रमुख मनोहारी प्राकृतिक दृश्य, सुंदर एवं सुमधुर गीतों का समावेश, स्वाभाविक अभिनय एवं कथानक की रोचकता आदि मनुष्य को अत्यधिक आकर्षित करते हैं । वह इन्हें देखने में इतना अधिक लीन हो जाता है कि उन क्षणों में वह स्वयं को उसका अंग मान लेता है ।
चलचित्र के कथानक का सीधा संबंध मानवीय संवेदनाओं, अनुभूतियों आदि से होता है । अत: यह मनुष्य के मनोमस्तिष्क पर सीधा प्रभाव डालती है । चलचित्र के माध्यम से मानव समाज के विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व चारित्रिक पहलुओं के वास्तविक व उन्नत रूप का छायांकन कर हम इसका उपयोग समाजोत्थान की दिशा में कर सकते हैं । अत: चलचित्र समाज-सुधारक की भाँति कार्य करता है ।
उदाहरणार्थ फिल्म ‘ उपकार ‘ के गाने का
यह टुकड़ा देश के किसानों का
उत्साहवर्धन करने वाला है:
” बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग
सुनाते हैं । गम कोसों दूर हो जाता है,
खुशियों के कमल मुसकाते हैं ।”
एक समाज सुधारक व मनोरंजन के उत्तम साधन के अतिरिक्त चलचित्र का व्यापारिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है । आधुनिक युग में चलचित्र के माध्यम से प्रदत्त व्यवसाय व व्यापार संबंधी विज्ञापन दर्शकों पर सीधा प्रभाव डालते हैं । राजनीतिक व धार्मिक संस्थाओं के अतिरिक्त सरकारी तौर पर विभिन्न योजनाओं व परियोजनाओं के प्रचार-प्रसार हेतु चलचित्र शिक्षा का प्रयोग किया जाता है ।
भारत फिल्में बनाने में आज विश्व की अग्रणी पंक्ति के देशों के समकक्ष खड़ा है । भारतीय फिल्में पड़ोसी देशों, खाड़ी देशों तथा उन देशों में जहाँ प्रवासीय भारतीय बड़ी संख्या में हैं अच्छा व्यवसाय कर रही हैं । चलचित्र बनाने में भारतीय अथक श्रम कर रहे हैं और यही कारण है कि भव्यता और गुणवत्ता की दृष्टि से भारतीय फिल्मों की सराहना पूरी दुनिया में हो रही है ।
उक्त लाभों के अतिरिक्त चलचित्र शिक्षा का एक सशक्त माध्यम भी है । चलचित्र की रोचकता के कारण मनुष्य इनमें प्रयुक्त ऐतिहासिक, धार्मिक व वैज्ञानिक तथ्यों को आसानी से समझ सकता है तथा उसे याद रख सकता है । इसके माध्यम से अशिक्षित व्यक्तियों में भी शिक्षा का प्रचार संभव है ।
सिक्के के दो पहलुओं की भांति चलचित्र के यदि अनगिनत लाभ हैं तो उसके नुकसान भी हैं । चलचित्र मनुष्य के मनोमस्तिष्क पर सीधा प्रभाव डालती है । इस परिस्थिति में इसके दुरुपयोग की संभावना भी अधिक रहती है । भारत जैसे देश में इसके दुरुपयोग की संभावना अधिक बढ़ गई है ।
आजकल निर्मातागण धन प्राप्ति की लालसा में अभद्र व अश्लील फिल्मों का चित्रांकन कर रहे हैं जिसका दुष्प्रभाव बच्चों व नवयुवकों पर स्पष्ट देखा जा सकता है । आज के नवयुवकों के चारित्रिक पतन के लिए चलचित्र प्रमुख रूप से उत्तरदायी है । चलचित्र में प्रयुक्त अश्लील गानों व चित्रों को देखकर वे उसी का अनुसरण करते हैं जो धीरे- धीरे उन्हें पतन की ओर उन्मुख करता है ।
भारत में चलचित्र बृहत् रूप में प्रचलित होने के कारण इसमें पूँजीपतियों व अनेक अराजक तत्वों की भागीदारी अधिक है जिसका मूल उद्देश्य इसके माध्यम से धन अर्जित करना है । मनुष्य के इस दृष्टिकोण ने सदैव ही राष्ट्रहितों की अनदेखी की है।
चलचित्र विज्ञान की एक अद्भुत व अनुपम देन है । बुराई चलचित्र में नहीं, अपितु मनुष्य की नकारात्मक व विध्वंसक सोच में है । यदि चलचित्र का उपयोग लोक कल्याण, स्वस्थ मनोरंजन व राष्ट्रहित के लिए किया जाए तो यह संपूर्ण मानव जाति के लिए वरदान का ही एक रूप है । चलचित्र का सदुपयोग एक व्यक्ति से नहीं अपितु पूरे समाज व राष्ट्र के सभी वर्गों के सामूहिक व स्वस्थ दृष्टिकोण से ही संभव है ।
Hope it will help you
चलचित्र मनुष्य की एक अद्भुत उपलब्धि है । चलचित्र के आविष्कार ने मानव जीवन में क्रांति ला दी है । यह मानव समाज के विभिन्न पहलुओं का सजीव चित्रांकन है जिसे देखकर मनुष्य सुख का अनुभव करता है ।
इस प्रकार यह मनुष्य के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है । चलचित्र या सिनेमा, साहित्य और कला का अद्भुत संगम है । सिनेमा भावों की अभिव्यक्ति का एक सशक्त साधन है । सिनेमा का वर्तमान में प्रचार-प्रसार अत्यधिक बढ़ा है ।
इतना प्रचार-प्रसार शायद ही किसी अन्य वैज्ञानिक आविष्कार का हुआ हो जितनी लोकप्रियता सिनेमा को प्राप्त हुई । स्त्री-पुरुष, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित, हिंदू-मुस्लिम आदि लगभग सभी वर्गों पर सिनेमा का प्रभाव पड़ा है । सभी वर्गों के लोग चलचित्र अथवा सिनेमा की लय में झूमते-गाते दिखाई देते हैं ।
दैनिक, मासिक व साप्ताहिक आदि सभी समाचार-पत्र सिनेमा जगत् की खबरों को प्राथमिकता देते हैं । इसके अतिरिक्त सिनेमा संबंधी अनेक पत्रिकाएँ जिनमें सिनेमा अथवा चलचित्र से संबंधित रोचक तथ्य होते हैं उनसे बाजार भरे पड़े हैं ।
चलचित्र की लोकप्रियता का प्रमुख कारण उसकी संवाद सहित सचल फोटोग्राफी है जो कथानक में इतनी अधिक सजीवता ला देती है कि उनमें मानव के वास्तविक जगत की झलक प्रतिबिंबित होने लगती है । कथानक के साथ सुंदर व मधुर गीतों का समावेश उसकी रोचकता में चार चाँद लगा देते हैं ।
चलचित्र मनुष्य के मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है । चलचित्र में प्रमुख मनोहारी प्राकृतिक दृश्य, सुंदर एवं सुमधुर गीतों का समावेश, स्वाभाविक अभिनय एवं कथानक की रोचकता आदि मनुष्य को अत्यधिक आकर्षित करते हैं । वह इन्हें देखने में इतना अधिक लीन हो जाता है कि उन क्षणों में वह स्वयं को उसका अंग मान लेता है ।
चलचित्र के कथानक का सीधा संबंध मानवीय संवेदनाओं, अनुभूतियों आदि से होता है । अत: यह मनुष्य के मनोमस्तिष्क पर सीधा प्रभाव डालती है । चलचित्र के माध्यम से मानव समाज के विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व चारित्रिक पहलुओं के वास्तविक व उन्नत रूप का छायांकन कर हम इसका उपयोग समाजोत्थान की दिशा में कर सकते हैं । अत: चलचित्र समाज-सुधारक की भाँति कार्य करता है ।
उदाहरणार्थ फिल्म ‘ उपकार ‘ के गाने का
यह टुकड़ा देश के किसानों का
उत्साहवर्धन करने वाला है:
” बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग
सुनाते हैं । गम कोसों दूर हो जाता है,
खुशियों के कमल मुसकाते हैं ।”
एक समाज सुधारक व मनोरंजन के उत्तम साधन के अतिरिक्त चलचित्र का व्यापारिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है । आधुनिक युग में चलचित्र के माध्यम से प्रदत्त व्यवसाय व व्यापार संबंधी विज्ञापन दर्शकों पर सीधा प्रभाव डालते हैं । राजनीतिक व धार्मिक संस्थाओं के अतिरिक्त सरकारी तौर पर विभिन्न योजनाओं व परियोजनाओं के प्रचार-प्रसार हेतु चलचित्र शिक्षा का प्रयोग किया जाता है ।
भारत फिल्में बनाने में आज विश्व की अग्रणी पंक्ति के देशों के समकक्ष खड़ा है । भारतीय फिल्में पड़ोसी देशों, खाड़ी देशों तथा उन देशों में जहाँ प्रवासीय भारतीय बड़ी संख्या में हैं अच्छा व्यवसाय कर रही हैं । चलचित्र बनाने में भारतीय अथक श्रम कर रहे हैं और यही कारण है कि भव्यता और गुणवत्ता की दृष्टि से भारतीय फिल्मों की सराहना पूरी दुनिया में हो रही है ।
उक्त लाभों के अतिरिक्त चलचित्र शिक्षा का एक सशक्त माध्यम भी है । चलचित्र की रोचकता के कारण मनुष्य इनमें प्रयुक्त ऐतिहासिक, धार्मिक व वैज्ञानिक तथ्यों को आसानी से समझ सकता है तथा उसे याद रख सकता है । इसके माध्यम से अशिक्षित व्यक्तियों में भी शिक्षा का प्रचार संभव है ।
सिक्के के दो पहलुओं की भांति चलचित्र के यदि अनगिनत लाभ हैं तो उसके नुकसान भी हैं । चलचित्र मनुष्य के मनोमस्तिष्क पर सीधा प्रभाव डालती है । इस परिस्थिति में इसके दुरुपयोग की संभावना भी अधिक रहती है । भारत जैसे देश में इसके दुरुपयोग की संभावना अधिक बढ़ गई है ।
आजकल निर्मातागण धन प्राप्ति की लालसा में अभद्र व अश्लील फिल्मों का चित्रांकन कर रहे हैं जिसका दुष्प्रभाव बच्चों व नवयुवकों पर स्पष्ट देखा जा सकता है । आज के नवयुवकों के चारित्रिक पतन के लिए चलचित्र प्रमुख रूप से उत्तरदायी है । चलचित्र में प्रयुक्त अश्लील गानों व चित्रों को देखकर वे उसी का अनुसरण करते हैं जो धीरे- धीरे उन्हें पतन की ओर उन्मुख करता है ।
भारत में चलचित्र बृहत् रूप में प्रचलित होने के कारण इसमें पूँजीपतियों व अनेक अराजक तत्वों की भागीदारी अधिक है जिसका मूल उद्देश्य इसके माध्यम से धन अर्जित करना है । मनुष्य के इस दृष्टिकोण ने सदैव ही राष्ट्रहितों की अनदेखी की है।
चलचित्र विज्ञान की एक अद्भुत व अनुपम देन है । बुराई चलचित्र में नहीं, अपितु मनुष्य की नकारात्मक व विध्वंसक सोच में है । यदि चलचित्र का उपयोग लोक कल्याण, स्वस्थ मनोरंजन व राष्ट्रहित के लिए किया जाए तो यह संपूर्ण मानव जाति के लिए वरदान का ही एक रूप है । चलचित्र का सदुपयोग एक व्यक्ति से नहीं अपितु पूरे समाज व राष्ट्र के सभी वर्गों के सामूहिक व स्वस्थ दृष्टिकोण से ही संभव है ।
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