........Essay Guru Nanak dev ji
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गुरु नानक देव जी का जन्म गांव तलवंडी, शेडखुपुरा डिस्ट्रिक, पंजाब में हुआ था। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा का दिन गुरुनानक दिवस के रुप में मनाया जाता है। गुरु नानक जी अपने कई महान कार्यों के लिए जाने जाते हैं। गुरु नानक जी को विश्व भर में सांप्रायिक एकता, सच्चाई, शांति, सदभाव के ज्ञान को बांटने के याद किया जाता है। साथ ही सिख समुदाय की नीव को रखने का क्षेय में गुरु नानक जी को दिया जाता है। गुरु नानक जी की मृत्यु 22 सितंबर, 1539 को करतारपुर, मुगल साम्राज्य, पाकिस्तान में हुई थी।
गुरु नानक जी का जीवन हमेशा महान कार्यों के लिए जाना जाता है और आज भी लोग उनकी दी गई सीख पर चलने की कोशिश करते हैं। गुरु नानक जी के पिता का नाम बाबा कालूचंद बेदी और माता का नाम त्रिपती था। इनके माता – पिता जी ने ही इनका नाम नानक रखा था। नानक जी के पिता गांव में स्थानीय राजस्व प्रशासन के अधिकारी थे। गुरु नानक जी बचपन से ही बुद्धिमान थे। बचपन में ही नानक जी ने कई भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। छोटे से ही नानक जी को फारसी और अरबी भाषा का बहुत अच्छा ज्ञान था। साल 1485 में नानक जी ने दौलत खान लोधी के स्टोर में अधिकारी के रुप में नियुक्ति ली। नानक जी का विवाह साल 1487 में हुआ था। शादी के बाद उनके उनको दो पुत्र हुए। पहला पुत्र उनका 1491 में हुआ और दूसरा पुत्र उन्हें 1496 में हुआ।
गुरु नानक जी अपने महान उद्देश्य के ज्ञान के कारण भी जाने जाते है। क्या आपको यह पता है कि पूरी दुनिया को अपने उद्देश्य के बारे में बताने के लिए गुरु नानक जी ने अपना घर छोड़ दिया था। घर छोड़कर गुरु नानक जी अपने सिद्धांत और नियमों का प्रचार करने के लिए निकल गए थे। और एक सन्यासी का रुप धारण कर लिया था। अपने उद्देश्य से गुरु नानक जी ने कमजोर लोगों की मदद के लिए खूब प्रचार किया। साथ ही गुरु नानक जी ने भेद, मूर्ति पूजा और धार्मिक विश्वासों के खिलाफ अपने प्रचार को आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने विचारों को फैलाने के लिए कई हिंदू और मुसलिम धर्म के स्थानों पर यात्रा की।