Hindi, asked by sheelarawat25, 8 months ago

Essay in French ship in Hindi

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परिचय

व्यक्ति अपना सुख-दुख तथा हर तरह की बात जिससे बांट सके वह व्यक्ति का मित्र होता है। मित्रता जीवन के किसी भी पढ़ाव में आकर तथा किसी से भी हो सकता है। एक पिता अपनी पुत्री का मित्र हो सकता है, इसी तरह से मां बेटे में मित्रता हो सकती है, पति-पत्नि में भी मित्रता हो सकती है। यह आवश्यक नहीं की हम-उम्र के लोगों के मध्य ही मित्रता हो। सच्ची दोस्ती व्यक्ति को सदैव सही मार्ग दिखाती है। नुखताचीनी (जिसमें सदैव व्यक्ति के हाँ में हाँ मिलाया जाता है) को मित्रता कहना अनुचित होगा।

अच्छे दोस्त हमें कभी नहीं खोने चाहिए

परिवार के बाद दोस्त व्यक्ति की दूसरी प्रथमिकता होता है। जिसके साथ वह हर अच्छे बुरे पलों को व्यतीत करता है। सुविख्यात कवि रहिमदास द्वारा एक चर्चित दोहे में कहा गया है, “टूटे सुजन मनाइए, जो टूटे सौ बार। रहिमन फिर-फिर पोइए, टूटे मुक्ताहार।” मतलब सच्चे मित्र जितनी बार आपसे रूठे उन्हें मना लेना चाहिए ठीक उसी प्रकार जैसे मोतीयों की माला के टूट के बिखर जाने पर हम उन्हें बार-बार पिरोते हैं क्योंकि वह मूल्यवान हैं, ठीक उसी प्रकार सच्चे मित्र भी मूल्यवान होते हैं और उन्हें नहीं खोना चाहिए। जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में मित्रता का महत्व होता है ठीक उसी प्रकार मेरे जीवन में भी है। मेरे मित्रों का समुह मेरे लिए दुसरे परिवार जैसा है।

मित्र बनाते समय हमारी लापरवाही

जीवन में व्यक्ति जिन आदतों को वहन करता है वह मित्रता की ही देन होती है। व्यक्ति के घर से निकलने पर उसकी पहली आवश्यकता मित्र होते हैं। सबसे पहले व्यक्ति मित्र बनाने की होड़ में लग जाता है, क्योंकी मानव सामाजिक प्राणी है तथा वह अकेला नहीं रह सकता। पर यह कितनी गंभीर बात है हम अपने लिए कोई जानवर भी लाते है तो अनेक तहक़ीक़ात कर के लाते हैं। पर हम मित्र बनाने में इतना समय नहीं लगाते जबकि मित्रता व्यक्ति का पतन भी करा सकती है। और व्यक्ति को कामयाबी के उच्च शिखर तक भी पहुंचा सकती है। ज्यादातर हम व्यक्ति को अपना मित्र बनाने से पहले उसके हाव-भाव तथा उसका हंसमुख चेहरा ही देखते है। जो संकट में हमारे काम नहीं आता है।

निष्कर्ष

व्यक्ति को अपने मित्रों का चुनाव सदैव सोच समझ कर करना चाहिए सच्चे मित्र का उपहास कर या किसी भी कारण के वजह से उसे खोना नहीं चाहिए इसके विपरीत अपना काम निकालने वाले दोस्तों से दूर ही रहना चाहिए। यह बुरे समय पर आपकी मदद के लिए कभी सामने नहीं आयेगे और उल्टा आपकों समय-समय पर समस्या में डालते रहेंगे।

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